स्वच्छता संकल्प ही डॉक्टर का परामर्श शुल्क
अनिल अवस्थी उन्नाव फिल्म मुन्ना भाई एमबीबीएस तो आपने देखी ही होगी जिसमें मरीज के इलाज के साथ जा
अनिल अवस्थी, उन्नाव : फिल्म मुन्ना भाई एमबीबीएस तो आपने देखी ही होगी जिसमें मरीज के इलाज के साथ जादू की झप्पी दी जाती है। होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ. आफताब राना जादू की झप्पी तो नहीं देते लेकिन दवा के साथ सफाई का डोज जरूर देते हैं। मरीजों के इलाज के बदले स्वच्छता संकल्प ही उनकी फीस होती है और वह समय-समय पर उनके घर जाकर सफाई की स्थिति भी देखते हैं। जहा गरीब, वहीं करते इलाज
शहर के नूरुद्दीनगर निवासी डॉ.राना ऐसी मलिन बस्तियों में निजी खर्च पर स्वास्थ्य शिविर लगाते हैं, जहा निर्धन परिवार रहते हैं। शिविर में बीमारी पीड़ित मिले मरीजों का निश्शुल्क इलाज करते हैं। ऐसे मिली प्रेरणा
पिछले छह वषरें से जन सेवा में लगे डॉ.राना का कहना है कि होम्योपैथी में खसरा रोकने को पहले दी जाने वाली दवा भी है। पहले मलिन बस्तियों के जो गरीब आते थे, उन्हें यह दवा फ्री देते थे। ये दवा लेने को बड़ी संख्या में लोग आते थे। स्वास्थ्य परीक्षण के दौरान कई ऐसे मरीज मिले जो गंभीर बीमारियों से ग्रसित थे। वह आर्थिक संकट के कारण इलाज नहीं करा पा रहे थे। बस यहीं से उन्हें ख्याल आया कि क्यों न गरीबों की सेवा के लिए उनके गाव-मोहल्ले में कैंप लगाए जाएं। सेवानिवृत्त दारोगा पिता व भाई करते सहयोग
डॉ.राना ने बताया कि गरीबों की मदद के लिए सेवानिवृत्त दारोगा पिता शमी अहमद व बड़े भाई होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ.इकबाल से मलिन बस्तियों व सुदूर ग्रामीण आचलों में निश्शुल्क कैंप लगाने का प्रस्ताव रखा तो वह सहयोग के लिए तैयार हो गए। उन्होंने बताया कि पिता और भाई के सहयोग से अब तक कॉलेज रोड गायत्री मंदिर, सिद्धनाथ मंदिर, जामा मस्जिद के निकट, मोती नगर, मगरवारा बा•ार, मियागंज बा•ार आदि समेत 25 गावों और दो दर्जन से अधिक मलिन बस्तियों में निश्शुल्क कैंप आयोजित कर चुके हैं। फीस के बदले लेते स्वच्छता का संकल्प, चेक भी करते
कैंप के दौरान जहा अधिक गंदगी दिखती है वहा क्षेत्रीय लोगों की मदद से वह सफाई करते हैं। वह जिस मलिन बस्ती में कैंप लगाते हैं वहा रक्त, शुगर, बीपी, बलगम, पेशाब आदि सभी जरूरी जाच कराकर निश्शुल्क 15 दिन की दवा देते हैं। वह मरीजों को यह समझाना नहीं भूलते कि संक्त्रामक बीमारियों से बचाव की सबसे बड़ी दवा स्वच्छता है। मरीज और उसके तीमारदारों से फीस के बदले स्वच्छता का संकल्प लेते हैं। हर मरीज की सूची उनके पास रहती है। एक पखवारे बाद फालोअप चेकअप करने उसके घर पहुंचते हैं तो साफ-सफाई भी देखते हैं।