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विरोध के बीच कब्र से निकाला सीबीआइ के गवाह का शव पोस्टमार्टम के लिए भेजा

पुलिस को दिन भर विरोध का सामना करना पड़ा। शाम को पुलिस ने जबरन शव बाहर निकाला और पोस्टमार्टम के लिए भेजा।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Sat, 25 Aug 2018 12:36 PM (IST)Updated: Sat, 25 Aug 2018 09:25 PM (IST)
विरोध के बीच कब्र से निकाला सीबीआइ के गवाह का शव पोस्टमार्टम के लिए भेजा
विरोध के बीच कब्र से निकाला सीबीआइ के गवाह का शव पोस्टमार्टम के लिए भेजा

उन्नाव (जेएनएन)। माखी कांड में दुष्कर्म पीडि़ता के पिता की हत्या के मामले में सीबीआइ के गवाह युनूस की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत का कारण अब तक बीमारी बता रही पुलिस शनिवार को बैकफुट पर आ गई। मौत की जांच-पड़ताल न कराए जाने पर हुई फजीहत के बाद पुलिस सुबह ही प्रशासनिक अधिकारियों के साथ युनूस का शव निकालने गांव पहुंच गई। इस दौरान पुलिस को दिन भर विरोध का सामना करना पड़ा। शाम को पुलिस ने जबरन शव बाहर निकाला और पोस्टमार्टम के लिए भेजा।

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शनिवार की सुबह 10 बजे के करीब पुलिस-प्रशासनिक अधिकारी फोर्स के साथ पहले माखी थाना, फिर युनुस के घर पहुंचे। वहां पत्नी सबीना व परिवार के अन्य लोगों से शव कब्र से निकलवाने पर वार्ता की। पत्नी और भाइयों ने कब्र से शव निकालने का विरोध किया तो पुलिस व अधिकारी फोर्स को वहीं पर तैनात कर वापस माखी थाना आ गए। इसके बाद प्रभारी निरीक्षक माखी जावेद अहमद और प्रभारी निरीक्षक मौरावां परिवारीजन से वार्ता करने पहुंचे, लेकिन विरोध के कारण बैरंग लौटना पड़ा।

परिवारीजन का कहना था कि यूनुस हाफिज भी थे। एक बार शव दफनाने के बाद उसे दोबारा कब्र से निकालना खिलवाड़ होगा। कई चक्रों में वार्ता विफल होने के बाद देर शाम सात बजे करीब एसपी हरीश कुमार और एडीएम बीएन यादव थाना पहुंचे और युनूस के भाइयों से वार्ता की, फिर भी बात नहीं बनी। कुछ देर बाद आठ थानों के फोर्स के साथ ही 50 महिला सिपाहियों को बुला कब्रिस्तान का निरीक्षण किया गया। कब्रिस्तान को चारों तरफ से घेर कर कब्र की खोदाई की और शव निकाला गया।

जेल का सिपाही सीबीआइ के निशाने पर
माखी कांड में दुष्कर्म पीडि़ता के पिता की हत्या के मामले में सीबीआइ की जांच अभी थमी नहीं है। सीबीआइ ने मोबाइल कॉल डिटेल और लोकेशन के आधार पर जेल के एक सिपाही को तलब किया है। सिपाही पर घटना के दौरान ही सवाल उठे थे। उसका तबादला कारागार प्रशासन ने ललितपुर कर दिया था।
इस मामले में सीबीआइ ने प्राइमरी चार्जशीट दाखिल करने के बाद अब एक बार फिर से अपनी जांच तेज कर दी है। सूत्रों के मुताबिक घटना में विधायक के करीबी एक बंदी रक्षक की जेल के अंदर संदिग्ध गतिविधि पर सवाल खड़े हुए थे। जेल में हालत बिगडऩे पर पीडि़ता के पिता को जिला अस्पताल ले जाया गया तो वहां उसकी मौत हो गई। अब सीबीआइ ने मामले में आगे की छानबीन शुरू की तो उस बंदी रक्षक का नाम सामने आ गया। सीबीआइ ने बंदी रक्षक को शुक्रवार के बाद शनिवार को भी पूछताछ के लिए लखनऊ कार्यालय बुलाया। बंदी रक्षक के फोन से हुई कुछ अन्य लोगों से वार्ता की डिटेल देख सीबीआइ ने विधायक के कुछ नजदीकी रिश्तेदारों को भी तलब किया है। 

डीजीपी ने सीबीआइ निदेशक को भेजा पत्र

उन्नाव कांड में सीबीआइ के गवाह यूनुस की रहस्मय हालात में हुई मौत के मामले में डीजीपी ओपी सिंह ने सीबीआइ निदेशक को पत्र भेजकर पूरी स्थिति बताई है। साथ ही पीडि़त किशोरी के चाचा तथा यूनुस की पत्नी की ओर से उन्नाव पुलिस को दी गईं तहरीरें भी भेजी हैं। डीजीपी ने मामले में सीबीआइ निदेशक पर निर्णय छोड़ दिया है।

उल्लेखनीय है कि उन्नाव कांड में सीबीआइ के गवाह की मौत को लेकर आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गए हैं। पीडि़त किशोरी के चाचा ने गवाह यूनुस की हत्या का संदेह जताते हुए मामले की जांच के लिए उन्नाव पुलिस को तहरीर दी है। यूनुस की पत्नी ने भी उन्नाव पुलिस को तहरीर देकर कहा है कि उन्हें आठ लाख रुपये का प्रलोभन देकर गलत बयान के लिए कहा जा रहा है। उसके पति की मौत बीमारी से हुई है।

यूनुस के भाई चांद मुहम्मद ने भी पुलिस से उसके भाई का शव कब्र से निकलवाकर उसका पोस्टमार्टम कराए जाने की मांग की है। चूंकि उन्नाव कांड की जांच सीबीआइ के हवाले है, लिहाजा डीजीपी ने भी इस प्रकरण को सीबीआइ के ही पाले में डाल दिया है। उधर, इस बीच उन्नाव पुलिस ने मामले में डीएम से यूनुस के शव को कब्र से निकलवाकर उसका पोस्टमार्टम कराए जाने की बात कही है। सीबीआइ जांच के लिहाज से पुलिस अपना एक-एक कदम संभालकर बढ़ा रही है।  


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