मां चंद्रघंटा की आराधना के लिए मंदिरों में लगाई हाजिरी
जागरण संवाददाता उन्नाव शारदीय नवरात्र के तीसरे दिन देवी मंदिरों और घरों में मां के ती
जागरण संवाददाता, उन्नाव : शारदीय नवरात्र के तीसरे दिन देवी मंदिरों और घरों में मां के तीसरे स्वरूप चंद्रघंटा की आराधना की गई। कोविड के कारण मंदिरों में हर साल की तरह भीड़ कम दिखी। अधिकतर लोगों ने घरों में ही पूजा-अर्चना कर इस संकट के समय से निजात दिलाने के साथ सुख समृद्धि की कामना की। वहीं कल्याणी देवी मंदिर में महिलाओं ने भजन कीर्तिन किया।
सोमवार को सुबह से घरों में मां चंद्रघंटा की पूजा के लिए लोगों ने तैयारी की तथा विधि विधान से मां की आराधना की। शहर के बड़ी माता मंदिर, कल्याणी देवी मंदिर, पूर्णा देवी मंदिर में भक्तों ने मां के दरबार में हाजिरी लगाई। इसी तरह बक्सर में मां चंडिका देवी, नवाबगंज में मां कुशहरी देवी मंदिर में भक्तों ने मां के दर्शन किए। चंडिका देवी मंदिर में मंडन संस्कार भी संपन्न हुए। हालांकि भीड़ न होने को लेकर मंदिर प्रशासन द्वारा इंतजाम किए गए थे। लोगों ने भी कोविड की गाइडलाइन का पालन कर मां के दर्शन किए। वहीं जो लोग व्रत रखे हुए है, उन्होंने दर्गा सप्तशती की पाठ किया।
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धर्म की रक्षा और अंधकार मिटाने के लिए होती है मां चंद्रघंटा की पूजा
- नवरात्रि के तीसरे दिन दुर्गा मां के चंद्रघंटा रूप की पूजा की जाती है। नौ दिनों तक चलने वाली नवरात्रि के दौरान मां के नौ रूपों की पूजा की जाती है। मां का तीसरा रूप राक्षसों का वध करने के लिए जाना जाता है। मान्यता है कि वह अपने भक्तों के दुखों को दूर करती हैं इसीलिए उनके हाथों में तलवार, त्रिशूल, गदा और धनुष होता है। इनकी उत्पत्ति ही धर्म की रक्षा और संसार से अंधकार मिटाने के लिए हुई है। मान्यता है कि मां चंद्रघंटा की उपासना साधक को आध्यात्मिक और आत्मिक शक्ति प्रदान करती है।