सेहत के साथ खुशहाल जीवन में श्राप है 'क्रोध'
जागरण संवाददाता उन्नाव स्वभाव में क्रोध हो तो रिश्तों की डोर टूटने का खतरा हमेशा बना
जागरण संवाददाता, उन्नाव: स्वभाव में क्रोध हो तो 'रिश्तों की डोर' टूटने का खतरा हमेशा बना रहता है। जीवन में सफलता अर्जित करने के लिए व्यवहार कुशलता का होना बहुत जरूरी होता है। किसी भी व्यक्ति को, जो अपने क्षेत्र में बुलंदियों को छूने की चाहत रखता है, ऐसे में सरल स्वभाव को अपनाते हुए क्रोध को त्याग देना ही अच्छा होता है।
बुधवार को संकुशल व्यवहार के प्रबंधन पर दैनिक जागरण संस्कारशाला में ''''घोड़ी क्यों गिरी'''' शीर्षक से प्रकाशित स्टोरी में क्रोध मनुष्य का सबसे बड़ा दुश्मन होता है, यह सीख सब के लिए है। विवेक की शादी में घोड़ी चढ़ने से लेकर विवाह मंडप पहुंचने तक रास्ते भर उसके ताऊ शिव प्रसाद क्रोध को शांत करते रहे और किसी को अहसास तक नहीं होने दिया। सुखद जीवन में क्रोध मनुष्य का सबसे बड़ा दुश्मन होता है। मुस्कुराते रहने से सदैव जीवन खुशहाल बना रहता है। भूतकाल (जो बीत गया) पर खेद न करते हुए आने वाले व वर्तमान को लेकर जीना व हंसना चाहिए। गुस्सा व्यक्ति की एक भावना है इसकी अधिकता से एड्रेनालीन और कोर्टिसोल हार्मोंस हृदय गति एवं श्वास गति को बढ़ा देते हैं, जिससे ब्लड प्रेशर भी बढ़ता है। अत्यधिक गुस्सा आने पर हमारे मस्तिष्क में ऐसी रासायनिक प्रक्रिया होती है जो मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करती है इस प्रकार इस क्रिया विधि से हमें विभिन्न प्रकार की सामाजिक एवं पारिवारिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। नकारात्मकता से उत्पन्न होने वाली यह भावना 'हमारी सोचने की क्षमता' को भी प्रभावित करती है। एक बार गुस्सा आने के उपरांत काफी समय पश्चात हमारी शारीरिक गतिविधि सामान्य हो पाती है। अत: व्यक्ति को हमेशा सकारात्मकता के साथ जीना चाहिए एवं जीवन शैली में गुस्से को क्षण भर के लिए भी स्थान नहीं देना चाहिए। रामचरितमानस में गोस्वामी तुलसीदास जी ने भी लिखा है की भूतोन्मुख क्रोध, भूतोन्मुख शोक और भविष्योन्मुख लोभ नहीं करना चाहिए। अंत में मैं यह कहना चाहूंगा की हमको अपने आसपास का माहौल सकारात्मक रखना चाहिए जिससे हम विभिन्न प्रकार के विकारों से बच सकें। आदित्य कुमार गुप्ता, प्रवक्ता, केंद्रीय विद्यालय दही चौकी