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टेलीविजन व मोबाइल के क्रेज के बाद भी रेडियो का रोमांच कायम

जागरण संवाददाता उन्नाव टेलीविजन आज हर घर में मनोरंजन का सबसे बड़ा साधन माना जाता है

By JagranEdited By: Published: Fri, 12 Feb 2021 05:13 PM (IST)Updated: Fri, 12 Feb 2021 05:13 PM (IST)
टेलीविजन व मोबाइल के क्रेज के बाद 
भी रेडियो का रोमांच कायम
टेलीविजन व मोबाइल के क्रेज के बाद भी रेडियो का रोमांच कायम

जागरण संवाददाता, उन्नाव : टेलीविजन आज हर घर में मनोरंजन का सबसे बड़ा साधन माना जाता है, लेकिन इसके बाद भी रेडियो का रोमांच कम नहीं हुआ है। ग्रामीण क्षेत्रों में तो रेडियो ही मनोरंजन का सबसे बड़ा जरिया है। एफएम पर गाना सुनना हो या फिर प्रसार भारती का रेडियो प्रसारण खूब पसंद किया जाता है। यही नहीं आज भी बीबीसी की खबरों को रेडियो पर सुनने की ललक खत्म नहीं हुई है।

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तकनीकी बढ़ने के साथ सिनेमा की जगह मल्टीपलक्स ने ले लिया तो 42 इंच का टीवी एलसीडी, एलइडी में आ गया। साथ ही सैकड़ों चैनल लेकिन इनके बावजूद प्रसार भारती के प्रसारण यह कानपुर केंद्र हैं कि आवाज का जादू बरकार है। सुबह होते ही गांव के गलियारों में विभिन्न कार्यक्रमों का रेडियो पर आनंद लेते ग्रामीण नजर आते हैं। वहीं, शहरों में मोबाइल पर एफएम और रेनबो पर गीतों को सुन लोग मनोरंजन करते हैं। आज भी फौजी भाइयों की पसंद जयमाला का प्रसारण रेडियो पर हो रहा है, जिसे सुनने के लिए लोगों में खासी उत्सुकता रहती है। कमेंट्री सुनने के लिए लगती है भीड़

शहरों में लोगों ने केबिल कनेक्शन ले लिया है लेकिन गांवों में अभी भी डीडी का जादू कायम है। विदेशी टूर पर जब भारतीय क्रिकेट टीम जाती है तो मैच का आंखों देखा हाल रेडियो पर सुनने को मिलता है। इसे लेकर लोगों में वह पुराना जोश कायम है। कस्बा भगवंत नगर निवासी पूर्व शिक्षक सूर्य प्रकाश शुक्ला को लोग रेडियो वाले पंडित जी के नाम से भी बुलाते है। क्रिकेट मैच के शौकीन होने के चलते रेडियो उनके पास आज भी हर समय हर जगह होता है। उनका कहना था कि आधुनिकता की दौड़ में भले ही टीवी की लोकप्रियता बढ़ गयी हो मगर रेडियो की जगह नहीं ले सकता। पुरवा के मोहल्ला कस्टोलवा निवासी भारत त्रिपाठी कहते है कि रेडियो सुनना बचपन का शौक है। सुबह और रात में रेडियो पर समाचार सुनना अच्छा लगता है। क्रिकेट की कमेंट्री रेडियो पर सुनने का अलग ही मजा है। फतेहपुर चौरासी निवासी पकंज कुमार ने बताया कि रेडियो और टीवी का अलग महत्व है। रेडियो आज भी ग्रामीण क्षेत्र में बुजुर्गों के लिए पहली पसंद है। रेडियो बगैर तार लाइट के खेत,बाग या घर बाहर कही भी आसानी से ले जाकर सुना जाता है। इसके कार्यक्रम,संवाद ग्रामीणों में जागरुकता लाते हैं। 75 वर्षीय बाबू लाल शुक्ल बताते है कि किसी समय रेडियो सुनने के लिए अनेक लोग साथ बैठकर समाचार और अन्य जानकारी और मनोरंजन का यही साधन था। रेडियो में समाचार सुबह गोरखपुर के दोपहर लखनऊ, शाम को भी सभी नवीन समाचार सुनने से जानकारी मिलती है। एकांत में रेडियो ही एक सकारात्मक दोस्त और साथी बिना किसी व्यवधान के मन को शांति देता है।


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