पुरुषों से करतीं कदमताल, ये युवतियां हैं बेमिसाल
पांच युवतियां नगर के पेट्रोलपंप पर वाहनों में ईंधन भरकर आत्मनिर्भर बनीं। पुरुषों वाले काम कर महिलाओं की तोड़ रहीं झिझक स्वावलंबी बनने को प्रेरित कर रहीं।
अभिषेक मालवीय, सुलतानपुर
वे अबला नहीं, अब सबला हैं। पुरुषों से कदमताल कर रहीं, वे बेमिसाल हैं। उन्हें अपने काम से प्यार है, इस बात से बेफिक्र कि लोग क्या कहेंगे। अपने कर्म से साबित भी कर रही हैं कि ना कोई काम छोटा है, ना बड़ा। महिलाएं चाहें तो वे कोई भी कार्य कर सकती हैं।
जहां चाह, वहां राह। ऐसी सोच रखने वाली पांच युवतियां नगर के एक पेट्रोलपंप पर वाहनों में ईंधन भरने का काम करती हैं। आमतौर पर पेट्रोलपंपों पर यह कार्य पुरुषों को करते देखने वाले लोगों की सोच इन युवतियों की धारणा से टकराती है। सवाल होता है तो जवाब वे अपने अंदाज में देती हैं-अपने परिवार की जरूरतों के लिए उन्हें स्वाभिमान से काम करना था, फिर यह काम वे क्यों नहीं कर सकतीं?
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कमाई संग पढ़ाई भी :
पेट्रोलपंप पर काम कर इन युवतियों की जो आय होती है, उससे उनका घर का खर्च चलता है। नगर के कुड़वार रोड निवासी चंचल सिंह पेट्रोलपंप पर ईंधन भरने के साथ ही पढ़ाई भी कर रही हैं। शहर की रहने वाली मुस्कान सिंह कहती हैं, इस कार्य में पहले झिझक हुई, पर अब नहीं रही। वह यहां सहज और खुश हैं। इस पेट्रोलपंप पर उनके साथ दो अन्य युवतियां राधिका गौड़ व प्रीति गौड़ भी तैनात हैं। सभी सुबह 10 से शाम पांच बजे तक काम करती हैं। राधिका ने बताया कि उनकी इच्छा थी कि वे स्वावलंबी बनें। प्रीति ने बताया कि परिवार आर्थिक रूप से सुदृढ़ है लेकिन, उनकी इच्छा लीक से कुछ हटकर करने की थी। वह अपने पैरों पर खड़ा होना चाहती थीं। हालांकि, शुरू में थोड़ा अजीब लगा लेकिन, अब सब अच्छा है।
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महिलाओं को आगे बढ़ाने की पहल :
एक गैर सरकारी संगठन की पहल पर नारी सशक्तीकरण के उद्देश्य से पेट्रोलपंपों पर महिलाओं को काम दे रहे हैं। पेट्रोलपंप के संचालक संजय सिंह त्रिलोकचंदी ने बताया कि उनका उद्देश्य समाज के कमजोर वर्ग की महिलाओं को आर्थिक मजबूती देने का है।