महिलाओं ने दिखाया जज्बा, पुरुष हुए नतमस्तक
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सुलतानपुर: जिला मुख्यालय या कस्बाई इलाकों के स्वास्थ्य केंद्रों, सरकारी दफ्तरों के आस पास से आप कभी गुजरें तो दीवारों पर या होर्डिंग में चीरा ना कोई टांका, पुरुष नसबंदी है आसान. जैसे प्रचार दिखाई देते हैं, लेकिन हकीकत इससे इतर है। तमाम कवायद के बाद भी पुरुष नसबंदी (परिवार नियोजन) कराने से कन्नी काट जाते हैं। जबकि इस मामले में महिलाएं काफी आगे हैं। सीएचसी अखण्डनगर द्वारा परिवार नियोजन के 5 वर्ष के आंकड़े देखें तो मई 2015 में मात्र सिर्फ पांच पुरुषों ने नसबंदी कराई। इसके बाद 2016 से 2019 में किसी भी पुरुष ने यह जहमत नहीं उठाई। जबकि इस दौरान 1082 महिलाओं ने नसबंदी कराने में दिलचस्पी ली। यहां के अधीक्षक डॉक्टर रमेश यादव कहते हैं कि महिलाओं की तुलना में पुरुष नसबंदी कराया जाना अधिक सुरक्षित और आरामदेह है। इससे पुरुष में किसी तरह के विकार या ताकत में कमी नहीं आती है।