तीन तलाक ने किया महिलाओं के अधिकारों का दमन : सिंह
ञ्जह्मद्बश्चद्यद्ग ह्लड्डद्यड्डह्न ञ्जह्मद्बश्चद्यद्ग ह्लड्डद्यड्डह्न ञ्जह्मद्बश्चद्यद्ग ह्लड्डद्यड्डह्न ञ्जह्मद्बश्चद्यद्ग ह्लड्डद्यड्डह्न
सुलतानपुर : तीन तलाक एक परंपरागत सामाजिक कुरीति है, जिसने महिलाओं के मौलिक अधिकारों का दमन किया है। तीन तलाक निषेध कानून इसके निराकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उक्त बात गनपत सहाय पीजी कॉलेज में आयोजित 'तीन तलाक और लैंगिक न्याय' विषयक संगोष्ठी में मुख्य वक्ता राणा प्रताप पीजी कालेज के प्राचार्य डॉ. एमपी सिंह बिसेन ने कहीं। उन्होंने लैंगिक अन्याय के लिए परिवार, समाज, धर्म, अर्थनीति एवं राजनीतिक व्यवस्था को जिम्मेदार बताया।
समाजशास्त्र विभाग के अध्यक्ष एवं संयोजक डॉ. सीताराम सिंह ने पृष्ठभूमि संबंधित कानूनी प्रावधानों पर विस्तृत प्रकाश डाला। महाविद्यालय प्राचार्य डॉ. एके. मिश्र ने सामाजिक एवं धार्मिक कुरीतियों के विरुद्ध संघर्ष करने हेतु छात्र-छात्राओं का आह्वान किया। संगोष्ठी के मुख्य अतिथि एवं महाविद्यालय के प्रबंधक डॉ. ओम प्रकाश पांडेय ने प्रत्येक सामाजिक कुरीति के विरुद्ध लोगों को जागरूक रहने और उसके निराकरण में सक्रिय सहयोग देने का आह्वान किया। महाविद्यालय के अध्यक्ष आत्माराम मोरारका ने समाज में असमानता और लैंगिक अन्याय के विरुद्ध नियमित रूप से संगोष्ठियों के आयोजन और विचार-विमर्श पर बल दिया।
डॉ. मो. शाहिद ने लैंगिक असमानता दूर करने के लिए सभी को समान अवसर और अधिकार देने की बात कही। उन्होंने तीन तलाक को एक प्रचलित बुराई बताते हुए उसे कुरआन के विरुद्ध बताया और इसके निराकरण की आवश्यकता पर बल दिया। सत्र का संचालन डॉ. शिखा श्रीवास्तव एवं डॉ. संजय कुमार ने किया। संगोष्ठी में डॉ. शहनवाज आलम, डॉ. भोलानाथ, डॉ. अनुज पटेल, डॉ. विजय श्रीवास्तव, डॉ. दिनेश द्विवेदी, डॉ. सुधा, डॉ. संतोष तिवारी, डॉ. नीलम तिवारी, डॉ. शैलेंद्र, डॉ. महेंद्र यादव, डॉ. पूजा श्रीवास्तव, डॉ. शिवाकांत, डॉ. अभिषेक, डॉ. जितेंद्र त्रिपाठी डॉ. दिनकर, डॉ. अजय मिश्र, श्री दिनेश दूबे, श्री पंकज, सूर्य प्रताप एवं छात्र-छात्राएं मौजूद रहीं।