जंगली सूकर व नीलगाय से डरे किसान कर रहे खेतों की पहरेदारी
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सुलतानपुर : विकास खंड के गोमती नदी किनारे बसे गांवों के किसान नीलगाय व सूकर के खौफ से परेशान हैं। सब्जी, कंद की फसल व गन्ने की खेती की रखवाली के लिए उन्होंने खेतों में मचान बना रखा है। उसी पर लेटकर वह रात-दिन ऐसे जंगली पशुओं से फसलों व सब्जी की खेती की रखवाली क रहे हैं।
गोमती नदी के तटीय क्षेत्रों मे जहां जंगली सूकरों के प्रकोप से किसान कंदीय फसलें आलू, गंजी, प्याज व सब्जी सहित गन्ने की रखवाली करने को मजबूर हैं। वहीं मैदानी क्षेत्र में छुट्टा गोवंशों व नीलगायों से फसलों को बचाने की बड़ी चुनौती है। किसानों ने इस बड़ी समस्या को लेकर खेतों के बीच लकड़ी की बांस बल्ली से मचान बनाकर, पुरानी धोती साड़ी की बैरीके¨टग कर किसी तरह सब्जी व गेहूं के फसलों को बचाने की जुगत में लगे हैं। वहीं सरकार के आदेश के बाद भी भदैंया में बेसहारा पशुओं के लिए कांजी हाउस बनाने की कोई प्रक्रिया नहीं शुरू हो सकी है।
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ये गांव हो रहे प्रभावित गोमती किनारे बसे बदरूद्दीनपुर, सलाहपुर, जगदीशपुर, चाचपारा, गौतमपुर, भदैंया, बभनगंवा, बरूई, झौवारा, बेलामोहन, बेलासदा टोड़रपुर, कुछमुछ, करोमी, भटपूरा, गंगापुर, इस्लामगंज, जादीपुर सराय अचल, छतौना, वजूपुर माड़व का पुरवा आदि गांव सूकरों व नीलगाय से सबसे अधिक प्रभावित हैं।
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हमलावर भी हैं जंगली सूकर व सांड़
सांड़ व जंगली सूकर फसलों की सुरक्षा कर रहे किसानों पर रोकने पर हमलाकर हो जाते हैं। पखरौली की सरोजा देवी, हनुमानगंज के शिवकुमार बरूई के राजातराम निषाद बदरूद्दीनपुर के रामदास जहां जंगली सूकर के हमले में गायब हुए हैं। वहीं कुछमुछ के अच्छन, विकवाजितपुर व शाहपुर हरिवंश गांव मे सांड के हमले से दो लोगों की मौत हो चुकी है।