रहबर को याद करने वाली कौम रहती है ¨जदा
सुलतानपुर : शहर से सटी ग्राम सभा तुराबखानी के इमाम बाड़े में मुहर्रम के मौके पर मजलिस क
सुलतानपुर : शहर से सटी ग्राम सभा तुराबखानी के इमाम बाड़े में मुहर्रम के मौके पर मजलिस का आयोजन किया गया। शुक्रवार को हुई मजलिस को खिताब करते हुए मौलाना कसीम अब्बास बिजनौरी ने कहा कि हर वह कौम ¨जदा कौम है, जो अपने रहबर के जन्मदिन पर खुशी और शहादत पर गम मनाती है। कर्बला के शहीदों का गम इसलिए मनाया जाता है कि उन्हें कर्बला के मैदान में तीन दिन भूखा और प्यासा रखा गया। इसी हाल में शहीद किया गया। चौथी मुहर्रम को हुसैन के खेमे फरात से हटा दिए गए। हुसैन के पास जो पानी था वह सातवीं मुहर्रम तक चला। हुसैन के खेमे में पानी खत्म हो गया और बच्चे हाय प्यास हाय प्यास की आवाज करने लगे। दसवीं मुहर्रम को दोपहर की नमाज पढ़ने के लिए जब हजरत इमाम हुसैन को उनके साथियों ने कहा तो वे नमा•ा पढ़ाने के लिए मैदान-ए-कर्बला में खड़े हुए। इस पर यजीदी फौज ने तीरों की बारिश शुरू कर दी। उस समय हजरत इमाम हुसैन के दो साथी सईद और जोहैर सामने खड़े होकर अपने सीनों पर हमले को रोकते रहे। जब नमाज खत्म हुई तो दोनों जवान तीरों से छलनी होकर जमीन पर गिर पड़े। हुसैन ने उनके सिर को उठाया और गोद में लिया पर, दोनों शहीद हो गए थे। इसके अलावा पीठापुर, भाईं, बेलहरी, चुनहा, अमहट, गोराबारिक, लम्भुआ, तांतोमुरैनी, मनियारपुर आदि इलाकों में भी मजलिसों का दौर चला। मजलिसों में भारी संख्या में अजादारों ने शिरकत की।