पीड़ित परिवारजन के चेहरे पर मुस्कान लाना अदालत का उद्देश्य : जज
उन्होंने कहा कि जज का काम तराजू पर तौलने जैसा होता है जो पीड़ित अपने परिवारजन को गवां चुके हैं न्यायालय उनके जीवन में संजीवनी देने का काम करता है। यूनाइटेड इंडिया के प्रबंधक त्रिपुरेश द्विवेदी ने कहा कि पीड़ितों के प्रति सभी की सहानुभूति होती है। विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव सतीश कुमार मगन ने कहा कि अधिक से अधिक लोग इस लोक अदालत का लाभ लें।
सुलतानपुर : दुखमय जीवन को सुखमय बनाना ही न्यायालय की मंशा है। क्षतिपूर्ति पाकर पीड़ित के परिवारजन अपना उजड़ा आशियाना बसा सकें। उक्त विचार मोटर दुर्घटना क्रिमिनल जज राकेश कुमार त्रिपाठी ने आगामी एक नवंबर को होने वाली लोक अदालत की पूष्ठिभूमि में पीड़ितों व अधिवक्ताओं को संबोधित करते हुए मंगलवार को न्यायालय प्रांगण में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि जज का काम तराजू पर तौलने जैसा होता है, जो पीड़ित अपने परिवारजन को गवां चुके हैं, न्यायालय उनके जीवन में संजीवनी देने का काम करता है। यूनाइटेड इंडिया के प्रबंधक त्रिपुरेश द्विवेदी ने कहा कि पीड़ितों के प्रति सभी की सहानुभूति होती है। विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव सतीश कुमार मगन ने कहा कि अधिक से अधिक लोग इस लोक अदालत का लाभ लें। इस मौके पर न्यू इंडिया के प्रबंधक देवाशीष गांगुली, शिवाकांत शुक्ला, राममूर्ति, शैलेंद्र मिश्रा, आदित्य प्रकाश शुक्ला, शिवकुमार श्रीवास्तव, केके झा, सुनील कुमार उपस्थित रहे। इस अवसर पर दस वादों में सुलह-समझौता से निपटारा किया गया।