जिले भर में शिक्षा की सुगंध फैला रहा उतुरी
दूबेपुर (सुलतानपुर) : शहर से पांच किमी के फासले पर बसा है दूबेपुर ब्लाक का उतुरी गांव।
दूबेपुर (सुलतानपुर) : शहर से पांच किमी के फासले पर बसा है दूबेपुर ब्लाक का उतुरी गांव। यहां घर-घर शिक्षा की ज्योति जल रही है। हर दस घर के बीच में औसतन एक शिक्षक तो हैं ही। यही नहीं सरकारी नौकरी हो या व्यापार का क्षेत्र अथवा खेती-किसानी, हर जगह यहां के लोग आगे हैं। आम तौर पर अपने शांतिप्रिय स्वभाव और तरक्की के वास्ते कुछ नया करते रहने के जज्बे के चलते उतुरीवासियों की अलग ही पहचान है। हर जाति, धर्म और वर्ग के लोग यहां सौहार्दपूर्ण ढंग से रहते हैं। छोटे-मोटे विवाद भी यहां अपवाद स्वरूप ही सुनने को मिलते हैं।
इन पर है नाज : करीब दो दशकों से विधान परिषद में अपनी उपस्थिति बनाए रखने वाले शैलेंद्र प्रताप ¨सह इसी गांव के बा¨शदे हैं। गांव में तरक्की के वास्ते उनका योगदान भी काफी रहा है। यहीं के सूबेदार मेजर स्व.रामबली ¨सह ने भारत-चीन की लड़ाई में हिस्सा लिया था। बहादुरी पर उन्हें मेडल भी मिला। वहीं स्व.रामफेर ¨सह, सेवानिवृत्त जेडी हेल्थ डॉ.आरपी ¨सह, भारतीय इंजीनियरिंग सेवा के अधिकारी राकेश कुमार ¨सह, सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य बलराम ¨सह, शिक्षक अनिल ¨सह, उद्यमी जयप्रकाश ¨सह, महाराणा प्रताप इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य ओमप्रकाश ¨सह समेत लंबी फेहरिस्त है।
शिक्षा का स्तर बेहद ऊंचा : यूं तो इस गांव में राजनीतिज्ञों, समाजसेवी, सरकारी व निजी नौकरी करने वालों की भी खासी तादाद है, लेकिन शिक्षा को लेकर बेहद जागरूकता दिखती है। करीब चार दशक पहले से ही शिक्षक बनने की एक होड़ सी लगी रही। सन 1999 में 18 युवा एक साथ बेसिक शिक्षा विभाग में शिक्षक के पद पर नियुक्त हुए।
हर पुरवों को जोड़ती सड़कें व विद्यालय : पांच पुरवे, पांच हजार की आबादी, 3400 मतदाता। प्रत्येक पुरवों को जोड़ती सीसी सड़कें गांव के विकास का आईना हैं। गांव के मानिंद लोगों के नाम पर खुशहाल मिश्र का पुरवा, बेनी का पुरवा व उपाध्याय पुरवा है। पांचवीं कक्षा तक दो प्राथमिक पाठशाला व एक कन्या विद्यालय के साथ-साथ आठवीं कक्षा तक की पढ़ाई के लिए बेसिक जूनियर हाईस्कूल गांव के बीचोबीच है। महाराणा प्रताप इंटर कॉलेज जिले में अपने अनुशासन और गुणवत्तापूर्ण पठन-पाठन के लिए मशहूर है। जहां शहर से पढ़ने के लिए विद्यार्थी आते हैं।
जीर्णशीर्ण व्यायामशाला व किराए के भवन में अस्पताल : सन 1988-89 में युवा कल्याण विभाग ने व्यायामशाला का गांव में निर्माण कराया था। यहां के युवाओं में जिम्नास्टिक व एथलेटिक्स में जिले भर में शोहरत हासिल की थी। अब वही व्यायामशाला वर्षों से जीर्णशीर्ण पड़ी हुई है। जिसकी मरम्मत की दरकार है। सड़कें मरम्मत न होने से टूटने लगी हैं। राजकीय होम्योपैथी चिकित्सालय के पास अपना भवन नहीं है। पंचायत भवन में चलता है। शवदाह गृह की मांग ग्रामीण अर्से से कर रहे हैं, लेकिन जमीन नहीं मिल पा रही है। दृष्टिकोण
लगातार विकास के कार्य कराए ज रहे हैं। प्रत्येक पुरवों में स्ट्रीट लाइट लगाई जा चुकी है। राणा प्रताप द्वार गांव की पहचान है। निरंतर गांव के बुजुर्गों का सहयोग और परामर्श मिलता रहता है। ये यहां की खूबी है। कुछ कुटीर उद्योग और शुरू हो जाएं तो गांव के लोग स्वावलंबी बन सकते हैं।
-हेमादेवी, प्रधान अपने कार्यकाल में सड़कें बनवाकर तरक्की के वास्ते काम किया। अब उतनी बेहतर सड़कें नहीं हैं। इनकी मरम्मत बराबर हो ये स्थिति न आए। यही नहीं प्रत्येक पुरवे में स्कूल हो जाएं तो स्थिति और भी बेहतर हो जाएगी।
-रामयश यादव, पूर्व प्रधान
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गांव का बाशिंदा होने के नाते जो भी मेरा कर्तव्य है करने की कोशिश करता रहता हूं। लोहिया ग्राम में चयनित होने के बाद गांव का विद्युतीकरण कराया गया था। जरूरत के मुताबिक हैंडपंप भी विधायक निधि से लग चुके हैं। बरात घर के लिए जमीन खोजी जा रही है। जब भी उपलब्ध होगी उसे भी निर्मित कराया जाएगा।
-शैलेंद्र प्रताप ¨सह, एमएलसी