..नहीं बन सका उम्मीदों का पुल
सुल्तानपुर : एक दशक पहले गोमती नदी के एक छोर से दूसरे छोर तक पहुंचने की दूरी कम करने की कवायद शुरू
सुल्तानपुर : एक दशक पहले गोमती नदी के एक छोर से दूसरे छोर तक पहुंचने की दूरी कम करने की कवायद शुरू हुई। ग्रामीणों की मांग और हुक्मरानों की मंशा से दस करोड़ का बजट जारी कर अमिलिया पुल बनाने की रूपरेखा तैयार की गई। जमीनों का अधिग्रहण कर पुल निर्माण का कार्य भी शुरू कर दिया गया। इसे देखकर लोग गदगद थे और आशान्वित थे कि जल्द ही उन्हें एक पुल मिलेगा जिससे गुजरकर वे समय से अपने गंतव्य तक पहुंच जाएंगे। बजट का अभाव था या फिर विभाग की निष्क्रियता, लेकिन पुल का काम पूरा नहीं हो सका। उम्मीद की किरण से लबरेज ग्रामीणों पर तुषारापात हो गया। आज वह सब खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं। दो खंभे और सड़क का इंतजार
पीडब्लूडी द्वारा 26 नवंबर 2010 को पुल का निर्माण कार्य शुरू किया गया। इसके लिए 9 करोड़, 92 लाख, 77 हजार का बजट जारी किया गया। काम शुरू हुआ, लेकिन कुछ समय बाद काम रुक गया। अभी भी दो खंभों ओर सड़क का निर्माण किया जाना बाकी है। यहां के लोग सरकार को कोसते नजर आते हैं। साथ ही यह भी उम्मीद है कि हो सकता है कि इस चुनाव में जीतने वाले प्रत्याशी उनकी इस समस्या को समझें और उनके अधूरे सपने को पूरा करें।
विभाग ने नही दिया मुआवजा
सड़क निर्माण के लिए अधिग्रहण की गई जमीन के एवज में लगभग 30 किसानों को पीडब्ल्यूडी ने मुआवजा नहीं दिया। रमेश सिंह, भगवंती सिंह, लाल साहब सिंह, रूद्र प्रताप सिंह, लल्लन सिंह, भगवानदीन आदि किसान प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव पीडब्ल्यूडी, जिलाधिकारी तक गुहार लगा चुके हैं, लेकिन मुआवजे की रकम नहीं मिल सकी। कई बार सांसदों, विधायकों ने वादा भी किया लेकिन चुनाव बीतने के बाद सब भूल जाते हैं।
समय और दूरी की होगी बचत
दशगरपारा निवासी राजकुमार सिंह, अरुण कुमार सिंह, गिरजाशंकर आदि की नदी के उस पार ग्राम बड़ाड़ी, दड़ाड़ी तहसील बदलापुर जौनपुर में पाही काश्त है, जो खेती करते हैं। प्रतिदिन नाव का सहारा लेकर उन्हें आवागमन करना पड़ता है। पुल का निर्माण होने से 60 किमी दूरी की बचत होगी। पुल का निर्माण होने से सिगरामऊ मेन रोड जौनपुर, प्रतापगढ़, टांडा से जुड़ जाएगा। दयाशंकर मोदनवाल कहते हैं कि पुल बनने से खेती-किसानी और व्यापार में वृद्धि होगी।
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