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वस्त्र बैंक के जरिए रामेश्वर ढक रहे गरीबों का तन

असहाय लोग जरूरत के हिसाब से वस्त्र निश्शुल्क ले जाते हैं। यह कार्य रामेश्वर मिश्र तीन साल से कर रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 16 Jan 2021 12:04 AM (IST)Updated: Sat, 16 Jan 2021 12:04 AM (IST)
वस्त्र बैंक के जरिए रामेश्वर ढक रहे गरीबों का तन
वस्त्र बैंक के जरिए रामेश्वर ढक रहे गरीबों का तन

ज्ञान पांडेय, धनपतगंज (सुलतानपुर) :

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समाज में ऐसे लोगों की कमी नहीं है, जो कि असहाय, गरीब व जरूरतमंद लोगों की सेवा करने से पीछे नहीं हटते हैं। इन्हीं में से एक रामेश्वर मिश्र वस्त्र बैंक खोलकर जरूरतमंदों की निस्वार्थ सेवा कर रहे हैं।

रामेश्वर मिश्र ने बताया कि दीन-दुखियों की सहायता करने की इच्छा हो तो तरीके कई निकल आते हैं। बस सोच होनी चाहिए, जिससे प्रेरित होकर उन्होंने सहायता केंद्र (वस्त्र बैंक) की स्थापना की है। केंद्र के इसके माध्यम से गरीब को कपड़ा निश्शुल्क दिया जा रहा है। यह कार्य वह विगत तीन साल से कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि अक्सर लोग पुराने वस्त्रों को फेंक देते हैं या फिर उन्हें जला देते हैं। यही पुराने वस्त्र किसी गरीब के लिए नए कपड़े से कम नहीं है।

ऐसे मिली प्रेरणा :

रामेश्वर ने बताया कि एक दिन उन्होंने घर में निकले कुछ पुराने वस्त्र बाहर डाल दिए थे। इसी क्रम में कुछ देर बाद बाहर निकला तो पाया कि एक महिला उस ढेर से अपने लायक वस्त्र छांट रही थी। उस दृश्य को देखकर उन्हें बेहद दुख हुआ और तभी से वस्त्र बैंक खोलने की ठान ली। शुरू में घर के ओर बाजार से पुराने वस्त्र खरीदकर सेवा कार्य शुरू किया। लोगों अपना मकसद बताया तो बाजार के कई लोगों ने इस कार्य में सहयोग देना शुरू कर दिया। इससे जरूरतमंद लोगों को वस्त्र निश्शुल्क देने लगे। उन्होंने बताया कि कई लोग फोन पर संपर्क कर घर बुलाकर भी वस्त्र बैंक के लिए उन्हें सहयोग कर रहे हैं।

गांव-गांव बांटा मोबाइल फोन नंबर :

असहाय लोगों की मदद के लिए रामेश्वर ने गांव-गांव में अपना मोबाइल फोन नंबर दे रखा है, ताकि जरूरतमंद लोग उन्हें फोन करके अपनी जरूरत के हिसाब से वस्त्र मांग लेते हैं। ठंड के मौसम में उनके पास ऊनी वस्त्रों का भंडार है, जिन्हें जरूरत के हिसाब से लोग ले जाते हैं।

बोले नागरिक :

धनपतगंज निवासी कमल मोहन पांडेय ने बताया कि यह एक सराहनीय प्रयास है और मैं हर वर्ष कुछ रुपये का नया कपड़ा खरीदकर इस कार्य में सहयोग देता हूं। गुरुकुल आश्रम के पीठाधीश्वर शिवदत्त आचार्य ने बताया कि इस तरह का प्रयास गरीबों के लिए मददगार साबित हो रहा है। मैंने भी इस वर्ष कुछ कंबल और कपड़ा इस बैंक को दिया है।


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