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महाराष्ट्र व केरल से आने वाले प्रवासी किए जाएंगे क्वारंटीन

स्वास्थ्य जांच में तेजी लाने के साथ ही महाराष्ट्र व केरल से आने वाले प्रवासियों को सात दिन के क्वारंटीन करने का फैसला किया गया है। इस पर नजर रखने के लिए आशा बहुओं व आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को जिम्मेदारी सौंपी गई है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 26 Feb 2021 11:31 PM (IST)Updated: Fri, 26 Feb 2021 11:31 PM (IST)
महाराष्ट्र व केरल से आने वाले प्रवासी किए जाएंगे क्वारंटीन
महाराष्ट्र व केरल से आने वाले प्रवासी किए जाएंगे क्वारंटीन

सुलतानपुर : महाराष्ट्र व केरल समेत देश के आधा दर्जन से ज्यादा राज्यों में कोरोना की वापसी को देखते हुए जिले में भी एहतियात बरतना शुरू कर दिया गया है।

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स्वास्थ्य जांच में तेजी लाने के साथ ही महाराष्ट्र व केरल से आने वाले प्रवासियों को सात दिन के क्वारंटीन करने का फैसला किया गया है। इस पर नजर रखने के लिए आशा बहुओं व आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को जिम्मेदारी सौंपी गई है। हेल्प डेस्क बनाकर अस्पताल आने वाले मरीजों व तीमारदारों की कोविड जांच किए जाने के भी निर्देश दिए गए हैं। कोरोना संक्रमण की कम होती रफ्तार के चलते जिले में स्थापित कोविड एल वन अस्पताल को बंद कर दिया गया। जिला अस्पताल के प्राइवेट वार्ड को आइसोलेशन विग में तब्दील कर संदिग्धों की जांच पड़ताल की जा रही है। साथ ही मिनी ट्रामा सेंटर स्थित कोविड एल टू अस्पताल में संदिग्धों की देखभाल कर उनमें मौजूद संक्रमण को खत्म करने का प्रयास किया जा रहा है। कोविड के नोडल प्रभारी डॉ. आकर्ष शुक्ला ने बताया कि बचाव संबंधी उपायों को अमल में लाने के चलते जिले में संक्रमितों की संख्या न के बराबर हो गई है। बावजूद इसके प्रसार को देखते हुए हर दिन करीब एक हजार व्यक्तियों की एंटीजन व आरटीपीसीआर जांच की जा रही है।

वायरल इंफेक्शन के चलते भी बरती जा रही सतर्कता : तापमान में उतार चढ़ाव के बीच हर दिन मौसम में बदलाव हो रहा है। कभी सर्दी तो कभी गर्मी की वजह से वायरल इंफेक्शन का खतरा बढ़ गया है। मौसम की अस्थिरता की वजह से मौसमी बुखार व अस्थमा आदि से पीड़ित लोगों को काफी दिक्कत होती है। मरीजों में मौसमी बुखार है या कोरोना का संक्रमण इसे पता लगाने के लिए जांच कराया जाना जरूरी हो गया है। सीएमओ डॉ. डीके त्रिपाठी ने बताया कि मौसम के बदलाव से सर्दी, खासी, बुखार के मरीजों की संख्या में वृद्धि हो जाती है। बच्चों में निमोनिया का खतरा भी ज्यादा रहता है, इसलिए ऐसे लक्षण वाले मरीजों की जांच कर उनके सैंपल लेने की निर्देश जिम्मेदारों को दिए गए हैं।


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