बेरोजगारी का दंश झेल रहे पीआरडी जवान
????? ?? ??? ???? ?? ???? ?????? ???? ??????? ?? ??? ???? ???? ?????? ?????? ?? ??? ???? ???? ??? ???? ??????? ?? ????? ???????? ?? ????? ?? ?????? ?? ????????? ?? ??? ????? ??? ??? ??? ????????? ?????? ?? ????? ?? ?????? ?? ???? ?? ???? ???? ??? ??????? ???? ??? ?? ?????? ???? ?????? ???? ?? ??? ?? ????? ????? ???? ???? ????? 250 ????? ???????? ?? ?????? ??
संवादसूत्र, सुलतानपुर : पुलिस के साथ कंधा से कंधा मिलाकर तमाम मोर्चों पर डटे रहने वाले पीआरडी जवानों के दिन बहुर नहीं रहे हैं। सुरक्षा और शांति व्यवस्था से जुड़े इन जवानों को बेरोजगारी का दंश झेलना पड़ रहा है। बहुसंख्यक जवानों को अर्से से ड्यूटी का मौका ही नहीं मिला है। बावर्दी होते हुए भी पीआरडी जवान ड्यूटी पाने के बाद भी दैनिक मजदूर जैसे हैं। मात्र 250 रुपये प्रतिदिन के मानदेय पर कार्य करने वाले पीआरडी जवानों के लिए ड्यूटी पाने से लेकर उसे पूरा करने तक में अनेक रोड़े हैं।
जिले में सक्रिय कुल 366 पीआरडी जवानों में अधिकतर की माली हालत बेहद कमजोर है। अधिकांश जवानों का विभाग से मोहभंग भी हो रहा है। युवा कल्याण एवं प्रांतीय रक्षा दल महानिदेशालय के अधीन जिले में पीआरडी और युवा कल्याण विभाग के तहत जवान मौजूद हैं। कुल 366 सक्रिय जवानों में सभी प्रशिक्षित हैं। इनमें से मात्र 115 को ही ड्यूटी मिलती है। एक माह के लिए ही जवान को ड्यूटी दी जाती है। इसे अधिकतम तीन माह तक बढ़ाया जा सकता है। जवानों का आरोप है कि ड्यूटी लगाने में भेदभाव व शोषण किया जाता है। दयनीय हैं हालात
जुलाई में शहर के अहिमाने निवासी पीआरडी जवान दयाराम की सर्पदंश से मौत हो गई। उनके तीन बच्चे हैं। कच्चे मकान में बसर कर रहे दयाराम के परिवार को कोई मदद नहीं मिली। विधवा पत्नी दर-दर भटक रही हैं। मोतिगरपुर थाने में तैनात रामजगत की मौत ऑन ड्यूटी ट्रक से दबकर 30 सितंबर 2017 को हो गई। मृतक के परिवार को विभाग से कोई सहायता नहीं मिली।
-ड्यूटी लगाने में नियमों का पूरा पालन होता है। मानदेय वृद्धि तथा विभागीय मदद का जिलेस्तर पर कोई अधिकार नहीं है। मांग के अनुरूप ही ड्यूटी के लिए भेजा जाता है। शासन से मांग की गई है कि निजी संगठनों और अन्य विभागों में भी पीआरडी जवानों की ड्यूटी लगाई जाए।
-राजेश वर्मा, जिला युवा कल्याण अधिकारी