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बाहरी हो या स्थानीय जनता ने सबको लगाया गले

सुलतानपुर: उम्मीदवार बाहरी हो या स्थानीय क्या फर्क पड़ता है? बस जनता की उम्मीदों पर खरा उतरना चाहिए।

By JagranEdited By: Published: Mon, 15 Apr 2019 10:52 PM (IST)Updated: Mon, 15 Apr 2019 10:52 PM (IST)
बाहरी हो या स्थानीय जनता ने सबको लगाया गले
बाहरी हो या स्थानीय जनता ने सबको लगाया गले

सुलतानपुर: उम्मीदवार बाहरी हो या स्थानीय क्या फर्क पड़ता है? बस जनता की उम्मीदों पर खरा उतरना चाहिए। शायद यही बात सोचकर जिले की जनता वर्ष 1952 से लेकर अब तक बाहरी व स्थानीय उम्मीदवारों में बगैर कोई फर्क समझे उन्हें गले लगाती रही है। वर्ष 1952 से लेकर 2014 तक कुल 16 चुनाव व तीन उपचुनाव हुए। इस प्रकार कुल 19 सांसदों में 10 स्थानीय व 09 बाहरी प्रत्याशी यहां से जीतकर संसद पहुंचे। मोटे तौर पर बाहरी व स्थानीय का अनुपात 50-50 रहा।

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सभी सांसदों ने अपने-अपने तरीके से काम किया। किसी ने कम तो किसी ने ज्यादा। जनता ने भी इस बात को कभी मुद्दा नहीं बनाया। 1952 से 2014 तक आठ बार यहां से कांग्रेस ने जीत का स्वाद चखा है। जबकि चार बार भाजपा व जनता पार्टी एवं जनता दल एक-एक बार और बसपा दो बार इस सीट पर जीत दर्ज कर चुकी है। पहली बार 1952 के चुनाव में प्रयागराज से आए एडवोकेट काजिमी बाहरी प्रत्याशी थे। वह कांग्रेस से चुनाव लड़े और सांसद हुए। 1957 में पंडित मदन मोहन मालवीय के पुत्र गोबिन्द मालवीय बनारस से आकर यहां कांग्रेस से सांसद हुए।

उपचुनाव में पहली बार जीता स्थानीय प्रत्याशी

1961 में पंडित गोविंद मालवीय के निधन पर उपचुनाव हुआ। इसमें प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री रहे पंडित गोविंद बल्लभ पंत के बेटे केसी पंत को कांग्रेस ने उम्मीदवार बनाया, लेकिन वह बागी व स्थानीय कांग्रेसी नेता एवं वरिष्ठ अधिवक्ता बाबू गनपत सहाय से चुनाव हार गए। उस समय गनपत सहाय को 37,785 और पंत को 36,656 वोट मिले थे। जबकि 1962 के आम चुनाव में कांग्रेस ने स्थानीय प्रत्याशी के तौर पर बाबू गनपत सहाय के बेटे कुंवर कृष्ण वर्मा को टिकट दिया और वह विजयी हुए। इसके बाद बाबू गनपत सहाय कांग्रेस में फिर शामिल हो गए और 1967 में पार्टी ने उन्हें प्रत्याशी बनाया। विजयी भी हुए। इस बीच उनका निधन हो गया और 69 में पुन: उपचुनाव हुआ। इसमें कांग्रेस ने स्थानीय प्रत्याशी डॉक्टर कैलाश नाथ सिंह को मैदान में उतारा, लेकिन वह भारतीय क्रांति दल(बीकेडी) के स्थानीय उम्मीदवार पंडित श्रीपति मिश्र से पराजित हो गए। इस प्रकार कभी बाहरी व कभी स्थानीय यहां से सांसद होते रहे। 1952 से अब तक का इतिहास

वर्ष जीतने वाले प्रत्याशी

1952 एडवोकेट काजिमी (कांग्रेस) बाहरी उम्मीदवार

1957 गोबिन्द मालवीय(कांग्रेस)-बाहरी

1961-उपचुनाव- गनपत सहाय(निर्दलीय)-स्थानीय

1962 कुंवर कृष्ण वर्मा(कांग्रेस)-स्थानीय

1967 बाबू गनपत सहाय(कांग्रेस)-स्थानीय

1969-उपचुनाव- पंडित श्रीपति मिश्र(बीकेडी)-स्थानीय

1970-उपचुनाव- केदार नाथ सिंह(कांग्रेस)-स्थानीय

1971- केदारनाथ सिंह (कांग्रेस)-स्थानीय

1977- जुल्फिकार उल्ला(जनता पार्टी)-बाहरी

1980- गिरिराज सिंह(कांग्रेस)-स्थानीय

1984- राजकरन सिंह (कांग्रेस)-स्थानीय

1989- रामसिंह(जनता दल)-स्थानीय

1991- विश्वनाथ दास शास्त्री(भाजपा)-बाहरी

1996- डीवी राय (भाजपा)-बाहरी

1998- डीवी राय(भाजपा)-बाहरी

1999- जयभद्र सिंह(बसपा)-स्थानीय

2004- मो. ताहिर (बसपा)-स्थानीय

2009- डॉ. संजय सिंह(कांग्रेस)-स्थानीय

2014 -वरुण गांधी (भाजपा)-बाहरी


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