खुले आसमान के नीचे बीतेगी साधनहीनों की सर्द रात
क्कड्ड4ड्डद्दद्बश्चह्वह्म स्द्धद्गद्यह्लद्गह्म ॥श्रद्वद्ग क्कड्ड4ड्डद्दद्बश्चह्वह्म स्द्धद्गद्यह्लद्गह्म ॥श्रद्वद्ग क्कड्ड4ड्डद्दद्बश्चह्वह्म स्द्धद्गद्यह्लद्गह्म ॥श्रद्वद्ग क्कड्ड4ड्डद्दद्बश्चह्वह्म स्द्धद्गद्यह्लद्गह्म ॥श्रद्वद्ग क्कड्ड4ड्डद्दद्बश्चह्वह्म स्द्धद्गद्यह्लद्गह्म ॥श्रद्वद्ग क्कड्ड4ड्डद्दद्बश्चह्वह्म स्द्धद्गद्यह्लद्गह्म ॥श्रद्वद्ग क्कड्ड4ड्डद्दद्बश्चह्वह्म स्द्धद्गद्यह्लद्गह्म ॥श्रद्वद्ग क्कड्ड4ड्डद्दद्बश्चह्वह्म स्द्धद्गद्यह्लद्गह्म ॥श्रद्वद्ग क्कड्ड4ड्डद्दद्बश्चह्वह्म स्द्धद्गद्यह्लद्गह्म ॥श्रद्वद्ग क्कड्ड4ड्डद्दद्बश्चह्वह्म स्द्धद्गद्यह्लद्गह्म ॥श्रद्वद्ग क्कड्ड4ड्डद्दद्बश्चह्वह्म स्द्धद्गद्यह्लद्गह्म ॥श्रद्वद्ग
सुलतानपुर: जिले में एक अदद आश्रय गृह नहीं है। पयागीपुर में आश्रय गृह निर्माण के अंतिम चरण में है। कार्यदायी संस्था इसे डूडा को हस्तांतरित नहीं किया है। जिससे पात्र इसका उपयोग नहीं कर पा रहे हैं। साधनहीन वृद्धजन, श्रमिकों और आर्थिक रूप से विपन्न लोगों के लिए 50 शैय्याओं का आश्रय जिला नगरीय विकास अभिकरण (डूडा) की ओर से बनाया जा रहा है। राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन के तहत 1.49 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले इस भवन का निर्माण उत्तर प्रदेश जल निगम की संस्था सीएनडीएस अयोध्या कर रहा है।
शहरी क्षेत्र के निराश्रित वृद्धों और मजदूरों के लिए विश्राम का कोई भी नगर में नहीं है। समाज कल्याण विभाग की ओर से संचालित तुर्राबखानी में वृद्धाश्रम भी अव्यवस्थाओं का शिकार है। 150 वृद्धों को आश्रय देने की क्षमता वाले इस आश्रम में मात्र 17 लोगों में ठिकाना मिला है। पयागीपुर में डूडा की ओर से बनाए जा रहे आश्रय गृह यहां के मजदूरों व निरीह लोगों के लिए बेहद मुफीद साबित होता है। आश्रय गृह को कराने के प्रति विभागीय लापरवाही इस कदर है कि दो वित्तीय वर्ष बीत जाने के बाद भी निर्माण को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका। कंपकपाती ठंड में शहर के साधनहीन लोग आश्रय की तलाश में भटकते है। जिला प्रबंधक डूडा विमल मिश्रा ने कहा कि निर्माण कार्य को शीघ्र पूरा करने व हस्तांतरित करने के लिए कार्यदायी संस्था को प्रशासन की ओर से पत्र जारी किए गए हैं।