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नौ पेड़ों पर हक साबित करने में लगे एक साल

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By JagranEdited By: Published: Mon, 29 Oct 2018 11:31 PM (IST)Updated: Mon, 29 Oct 2018 11:31 PM (IST)
नौ पेड़ों पर हक साबित करने में लगे एक साल
नौ पेड़ों पर हक साबित करने में लगे एक साल

लम्भुआ (सुलतानपुर) : अपने ही नौ पेड़ों पर मालिकाना हक साबित करने में एक निजी विद्यालय को सवा साल लग गए। मामला स्थानीय अफसरों की चौखट पर नहीं सुलझा तो हाई कोर्ट तक पहुंच गया। हाईकोर्ट के निर्देश पर जिलाधिकारी ने मामले की जांच कराई तो पेड़ पर विद्यालय का मालिकाना हक साबित हुआ। इस दौरान लंबी कानूनी प्रक्रिया के चलते मुकदमों की पैरवी में ही लकड़ी की कीमत से ज्यादा रकम खर्च हो गई।

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मामला तहसील के हरिहरपुर स्थित श्रीमती बच्ची देवी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय का है। बीते साल अगस्त माह में विद्यालय के परिसर में खड़े यूकेलिप्टस के नौ पेड़ उपयोग के लिए काटे गए थे। इनको ग्राम समाज की संपत्ति बताते हुए कटे हुए पेड़ों को काटने की शिकायत ग्रामीण करुणा शंकर ¨सह ने अफसरों से की। मामला बढ़ा तो अफसरों ने लकड़ी के बोटों को बीते साल 31 अक्टूबर को एक चौकीदार की सिपुर्दगी में दे दिया गया। बीती 18 जुलाई 2018 को अदालत ने मामले को निस्तारित करने के आदेश जिला प्रशासन को दिए। उच्च न्यायालय के आदेश के बाद जिला प्रशासन में हड़कम्प मच गया। मामले की जांच तहसीलदार से कराई गई तो काटे गए वृक्षों का स्वामित्व ग्राम सभा या याची संस्था का सिद्ध नहीं हो सका। तहसीलदार ने भूमि के विनिमय के पूर्व पड़ों के लगाने के कोई साक्ष्य न मिलने की रिपोर्ट दी। संदेह का लाभ देते हुए पेड़ों को विद्यालय के पक्ष में रिलीज करने को उचित ठहराया गया था। प्रबंधक राम मूर्ति चौरसिया ने बताया कि अफसरों के दफ्तर और अदालतों की पैरवी में ही लकड़ी की कीमत की कई गुना रकम खर्च हो चुकी है। सोमवार को लगभग खराब हो चुकी लकड़ी विद्यालय प्रशासन ने बेच दी है


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