कागज पर ओडीएफ, लोगों के पास अब भी नहीं शौचालय
ह्रष्ठस्न श्रठ्ठद्य4 श्रठ्ठ श्चड्डश्चद्गह्म ह्रष्ठस्न श्रठ्ठद्य4 श्रठ्ठ श्चड्डश्चद्गह्म ह्रष्ठस्न श्रठ्ठद्य4 श्रठ्ठ श्चड्डश्चद्गह्म ह्रष्ठस्न श्रठ्ठद्य4 श्रठ्ठ श्चड्डश्चद्गह्म ह्रष्ठस्न श्रठ्ठद्य4 श्रठ्ठ श्चड्डश्चद्गह्म
सुलतानपुर : पूरा जिला दो साल पहले कागज पर ओडीएफ घोषित हो गया पर, हकीकत यह है कि आज भी तमाम गांव ऐसे हैं जहां शौचालय नहीं बन सके हैं। लाभार्थियों का गड्ढा खोद दिया गया है लेकिन उसके आगे का काम नहीं हुआ है। जिनके शौचालय बनकर तैयार हो गए हैं वह निष्प्रयोज्य साबित हो रहे हैं। मानक के अनुरूप न होने के कारण दरवाजे टूट गए हैं या फिर गड्ढों का निर्माण इस कदर हुआ है कि लोग इज्जतघर में जाना पसंद नहीं करते हैं। यही नहीं बहुत से लाभार्थी ऐसे हैं जिनका शौचालय बनकर तैयार हो गया है, लेकिन आज तक उन्हें अनुदान नहीं मिला है।
दूबेपुर विकास खंड के डिहवा निवासी महेश सिंह व बृजलाल व बंधुआकला निवासी संतराम सोनी एक साल पहले इज्जत घर का निर्माण पूरा कर लिया गया, लेकिन इन्हें 12 हजार की प्रोत्साहन राशि अभी तक नहीं मिल सकी।
ग्राम पंचायतों में डंप है 19 करोड़
जिले 35 हजार के करीब इज्जतघर अभी बनने को शेष हैं, इनके लिए बजट नहीं है। वहीं जिले में 150 से ज्यादा ग्राम पंचायतों में 19 करोड़ से अधिक का अतिरिक्त बजट डंप पड़ा है।
दो लाख 65 हजार शौचालयों के उपयोग का दावा
कागजों पर दो लाख 65 हजार से अधिक के इज्जतघर बनकर तैयार हो गए हैं। जिनका सदुपयोग किया जा रहा है, जबकि यह हकीकत से परे है। भदैंया के अभियाखुर्द व जमुवावां, अखंडनगर के धरामपुर, पतारखास, जयसिंहपुर के गूरेगांव की अनुसूचित जाति बस्ती आदि ऐसे गांव हैं जहां पर बने शौचालय उपयोग में नहीं है।
डीपीआरओ हो चुके हैं निलंबित
शौचालय निर्माण के खेल में एक जिला पंचायत राज अधिकारी निलंबित भी हो चुके हैं। उनके समय में ही कागज पर जनपद खुले से शौच से मुक्त हो गया है। हालांकि बाद में वह बहाल हुए और उनका स्थानांतरण हो गया। उनके बाद में आए अधिकारी पूर्व की त्रुटियों को दुरुस्त करने में लगे रहे।
------------------
जिन गांवों में शौचालय नहीं बने हैं वहां की सूची तैयार हो गई है, बजट का इंतजार हो रहा है। जहां अतिरिक्त धन डंप है उसे वापस करने के निर्देश दिए गए हैं।
केके सिंह चौहान, डीपीआरओ