मिल ठप, गन्ने की फसल हो रही क्रेशर के हवाले
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सुलतानपुर : गन्ना उत्पादकों के लिए उनकी फसल फिर से मुसीबत का सबब बन गई है। बंद चीनी मिल आर्थिक मुनाफे की बजाए किसानों को नुकसान पहुंचा रही है। क्रेशर के जरिए लागत निकालने की जुगत में औने-पौने दाम पर किसान गन्ना बेच रहे हैं। सरकार की ओर से गन्ना खरीद का सरकारी समर्थन मूल्य 310 से 325 रुपये प्रति क्विंटल है। स्थानीय चीनी मिल की जर्जर स्थिति और गन्ना समितियों में पंजीकृत किसानों के ही गन्ने की खरीद व्यवस्था के चलते आम किसान औने-पौने दामों पर अपनी फसल बेच रहे हैं। हालात यह हैं कि सालभर की इस खेती में लगी लागत निकालना भी किसानों के लिए टेढ़ी खीर बना है।
गोसाईंगंज संवादसूत्र के अनुसार, रबी की बोआई के लिए पैसों की जरूरत के चलते गन्ना किसान क्रेशर पर फसल बेचने को मजबूर हैं। इसका फायदा उठाकर क्रेशर मालिक गन्ना 120 रुपए से 150 रुपये प्रति ¨क्वटल के हिसाब से खरीद रहे हैं। गेंहू की बोआई में कहीं देरी न हो जाए। इसलिए किसान किसी भी भाव में गन्ना बेचने को तैयार हैं। क्रेशरों पर तौल कांटा न लगाकर ईंट व पत्थरों का वाट बनाकर घटतौली भी खूब की जा रही है। इससे किसान दोनों तरफ से पिस रहे हैं। ये क्रेशर मालिक किसानों के गन्ने का दाम एक माह बाद देते हैं। क्षेत्र में पांच क्रेशर चल रहे हैं, जहां दर्जनों गन्ने से लदी ट्रालियां किसी भी समय देखी जा सकती हैं। जिला गन्ना अधिकारी अशर्फीलाल ने कहाकि गन्ना समितियों पर पंजीकृत किसानों से समर्थन मूल्य पर गन्ना लिया जाएगा। मिल का पेराई सत्र शुरू हुआ है। गन्ने की खपत मिल चलने के बाद ही गति पकड़ेगी। किसान अपनी फसल की बिक्री कहीं भी करने के लिए स्वतंत्र हैं।