अधिकारियों को ढो रहे मलेरिया विभाग के वाहन
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संवादसूत्र, सुलतानपुर : मच्छरों के काटने से होने वाली बीमारियों की रोकथाम करने वाला मलेरिया विभाग खुद ही बीमार नजर आ रहा है। महकमे में संसाधनों व कर्मचारियों की भारी कमी है। विभाग के पास दो वाहन (सूमो) हैं, जो जिला प्रशासन के अधिकारियों को ढो रहे हैं। वाहन के अभाव में राष्ट्रीय वैक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम प्रभावित हो रहा है। कीटनाशक दवाओं का छिड़काव तक नहीं हो पा रहा है। शहर से लेकर गांव तक मच्छरों की संख्या बेतहाशा बढ़ती जा रही है और जिम्मेदार उदासीन बने हैं।
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सिर्फ तीन छिड़काव कर्मी और दो फॉ¨गग मशीन
14 ब्लाक व करीब चौबीस लाख आबादी वाले जिले में मलेरिया विभाग के पास सिर्फ दो फॉ¨गग मशीन हैं। छिड़काव कर्मियों के 13 पद सृजित हैं, मगर तैनाती केवल तीन की है। 85 पद के सापेक्ष मौजूदा समय में सिर्फ 32 सुपरवाइजर तैनात हैं। बेसिक हेल्थ कर्मियों की भी भारी कमी है। 110 पद हैं और तैनाती मात्र 10 की है। जिसका सीधा असर सर्विलांस कार्यक्रम पर पड़ रहा है। एंटीलार्वा का छिड़काव व फॉ¨गग के अलावा बुखार से पीड़ित मलेरिया के संभावित मरीजों के खून के नमूने संकलित कर जांच को संबंधित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भेजने का काम भी ठप है।
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मलेरिया व स्वास्थ्य विभाग दे रहा वाहन चालकों को सैलरी
मलेरिया विभाग के पास दो सूमो हैं। कई वर्षों पूर्व दोनों वाहनों को जिला प्रशासन से संबद्ध कर दिया गया था। गाड़ी संख्या यूपी 32 बीजी 1235 जिलाधिकारी के काफिले के साथ चलती है। इसके चालक स्वास्थ्य विभाग में तैनात हैं। वाहन संख्या यूपी 44 जी 0026 एसडीएम सदर कार्यालय से संबद्ध है। इसे चलाने को मलेरिया विभाग के ड्राइवर की ड्यूटी लगाई गई है।
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सभी सीएचसी-पीएचसी प्रभारियों को अपने-अपने क्षेत्र में कीटनाशक दवाओं का छिड़काव कराने के निर्देश दिए गए हैं। वैक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम का संचालन बेहतर तरीके से हो सके, इसके लिए मलेरिया विभाग को वाहन उपलब्ध कराने के संबंध में जिलाधिकारी से बात की जाएगी।
-डॉ. सीबीएन त्रिपाठी, मुख्य चिकित्साधिकारी।