जिक्र जब भी आया है गमजदा सकीना का..
??????????, ????????? : ??? ???? ??? ??, ?? ??? ?? ????? ?? ?????? ????? ??, ??? ??? ????? ?? ??? ?? ??????? ??, ????? ?? ?? ??? ?? ????? ????? ??? ?????? ?? ?????? ?? ??? ??? ?????? ??????? ?? ??????? ?? ??? ?? ???????? ?? ??????? ???? ?? ?? ?????? ????? ?? ?? ?? ?? ??? ??? ?????
संवादसूत्र, सुलतानपुर : जिस घड़ी कजा आए, हो कलम के होठों पर तज्करा सकीना का, आके खुद नमाजे भी रोई है मुसल्ले पर, जिक्र जब भी आया है गमजदा सकीना का। कर्बला के शहीदों की याद में सातवीं मुहर्रम पर मंगलवार की रात जब अंजुमनों ने मार्मिक नौहे की ये लाइनें पढ़ीं तो हर एक की आंख छलक उठीं।
पारा बाजार, अमहट, खैराबाद व बाधमंडी इलाके में अलम का जुलूस रवायती अंदाज में निकला। मातम व सीनाजनी कर हुसैन को अकीदत पेश करने का दौर देर रात तक चलता रहा। पारा बाजार संवादसूत्र के अनुसार, अंजुमन कारवाने अजा चककारीभीट के अकीदत मंदों के गाए मार्मिक नौहे खूब सराहे गए। वहीं अंजुमन लश्करे अब्बास सोनबरसा, अंजुमन सेमरा, अंजुमन तौधिकपुर आदि मुकामी अंजुमनों ने भी नौहा ख्वानी व सीनाजनी कर अकीदत पेश की। अमहट स्थित हुसैनिया बादल खां में आठवीं मुहर्रम की तारीख पर मौलाना हयात नकवी ने मजलिस में तकरीर की। उन्होंने जंग-ए-कर्बला का मंजर कुछ यूं बयां किया। कर्बला के मैदान में इमाम हुसैन का छह माह का बच्चा अली असगर था। तीन दिनों से वह भूखा-प्यासा था। हुसैन के सारे साथी शहीद हो गए तो उन्होंने आवाज दी कोई मेरी मदद करे। ये आवाज उस नन्हें बच्चे के कान से टकराई। बच्चे ने खुद को झूले से गिरा दिया। रोने की आवाज आने लगी। मौला हुसैन खेमे में आए और बच्चे को गोद में लिया। यजीदी फौज से कहा कि जालिमों अगर तुम्हारी नजर में मै खतावार हूं तो इस बच्चे ने क्या खता की है। बच्चा प्यासा है इसे थोड़ा पानी पिला दो ताकि इसकी जान बच जाए। लेकिन यजीदी फौज की तरफ से कोई जवाब नहीं मिला। ये दास्तां सुनकर अकीदतमंद फफक-फफक कर रो पड़े।