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अधूरी पाठ्य सामग्री से छात्रों का हो रहा नुकसान

शिक्षक मूल्यांकन के अभाव में बचे ऑनलाइन पाठ्यक्रम में उस रुचि से काम नहीं कर पा रहे।

By JagranEdited By: Published: Fri, 30 Oct 2020 02:14 AM (IST)Updated: Fri, 30 Oct 2020 02:14 AM (IST)
अधूरी पाठ्य सामग्री से छात्रों का हो रहा नुकसान
अधूरी पाठ्य सामग्री से छात्रों का हो रहा नुकसान

सुलतानपुर : बिना तैयारी शुरू हुई ऑनलाइन शिक्षा व्यवस्था में सुधार लाकर उसे भविष्य में जारी रखना शिक्षकों से लेकर अभिभावकों के लिए चुनौतीपूर्ण हैं। शिक्षक मूल्यांकन के अभाव में बच्चे ऑनलाइन पाठ्यक्रम में उस रुचि से काम नहीं कर पा रहे, जो कि विद्यालय में होती है। ऑनलाइन पढ़ाई से बच्चों की मेमोरी भी कमजोर हो रही है। इस शिक्षण व्यवस्था में पाठ्यक्रम के अनुरूप पाठ्य सामग्री नहीं होने के कारण इसे समझने में बच्चों को परेशानी हो रही है। वैसे तो कई स्कूल ऑनलाइन पढ़ाई करा रहे हैं, मगर तमाम स्कूल ऐसे भी हैं, जो कि सुविधा संपन्न नहीं होने से इसमें असमर्थ हैं। बच्चों के पास एंड्रायड मोबाइल फोन और लैपटॉप की व्यवस्था होनी जरूरी है। ऐसे में ऑनलाइन शिक्षा से वंचित छात्रों के अभिभावकों को चितित होना स्वाभाविक है। कोरोना काल में जब तक स्कूल बंद हैं, तब तक ऑनलाइन क्लास ही बड़ा सहारा है। लेकिन, इस व्यवस्था में स्क्रीन पर घंटों नजर रखनी पड़ रही है, जिससे शारीरिक व मानसिक दिक्कतें भी उत्पन्न हो रही हैं।

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- मनोज मौर्य, शिक्षक

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छात्र की राय :

ऑनलाइन शिक्षा को विकल्प के तौर पर देखा जाना चाहिए न कि पूरक, क्योंकि सभी लोगों के पास डिजिटल संसाधन नहीं हैं। इस पद्धति को जितना फायदेमंद बताया जा रहा है, उतना ही यह निजी स्कूल व कालेज को फायदा पहुंचाने के लिए किया जा रहा है। कोरोना काल में इंटरनेट का ज्यादा प्रयोग हो रहा है, जिससे जल्द ही मोबाइल डाटा खत्म हो जाता है। ऐसे में स्पीड कम होने से शिक्षकों द्वारा भेजे गए स्टडी मैटीरियल को डाउनलोड कर पाना भी मुश्किल हो रहा है। बिजली की आवाजाही से भी नेटवर्क पर असर असर पड़ रहा है।

- नीलेश गुप्ता, छात्र

--- अभिभावक की राय :

कोरोना काल में काम धंधा चौपट होने के चलते आर्थिक संकट खड़ा हो गया है। परिवार में कई छात्र-छात्राएं हैं, सभी को मोबाइल फोन उपलब्ध कराना मुमकिन नहीं है। इसका भी असर ऑनलाइन शिक्षण व्यवस्था पर पड़ रहा है। ऑनलाइन शिक्षण व्यवस्था में छात्रों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। ग्रामीण परिवेश में मोबाइल नेटवर्क कमजोर होता है। कनेक्टिविटी के कारण कोर्स पिछड़ रहा है। पढ़ाई के दौरान प्रश्नों के न समझ आने से उसके दोहराव में दिक्कत होती है। शासन को विद्यालय खोलकर बच्चों के अधूरे कोर्स को पूरा करने की कोशिश शुरू कर देनी चाहिए।

- सुशील सिंह, अभिभावक


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