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नौकरी छोड़ शुरू की खेती, उत्पादन में किया कमाल

ज्ञानप्रकाश पांडेय, धनपतगंज (सुलतानपुर) : महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोद्योग विश्वविद्यालय से एमबीए की

By JagranEdited By: Published: Fri, 14 Sep 2018 12:21 AM (IST)Updated: Fri, 14 Sep 2018 12:21 AM (IST)
नौकरी छोड़ शुरू की खेती, उत्पादन में किया कमाल
नौकरी छोड़ शुरू की खेती, उत्पादन में किया कमाल

ज्ञानप्रकाश पांडेय, धनपतगंज (सुलतानपुर) : महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोद्योग विश्वविद्यालय से एमबीए की डिग्री ली। केंद्र सरकार और यूनाइटेड नेशन के संयुक्त सहयोग से चलने वाले आपदा बचाव जागरूकता मिशन में नौकरी की। करीब पांच साल सर्विस करने के बाद उसे छोड़ दिया। बचपन से कुछ अलग करने की चाहत ने खेती-किसानी की ओर मोड़ दिया। मौजूदा वक्त में केले की खेती में एमबीए की पढ़ाई का भरपूर उपयोग करने में जुट गए हैं अवधेश ¨सह। मुख्यालय से करीब पंद्रह किमी दूर बसे जज्जौर निवासी दयाशंकर ¨सह किसान हैं। उन्होंने अपने पुत्र को एमबीए की शिक्षा इसलिए दिलवाई थी कि ताकि वह बड़ी कंपनी में नौकरी कर पारिवारिक समृद्धि और सामाजिक विकास में योगदान कर सके। पर, नियति बेटे को कहीं और ले जाना चाहती थी। कृषि विज्ञान से इंटर की पढ़ाई पूरी करने के बाद से ही अवधेश खेती में विविध प्रयोग करने शुरू कर दिए थे। एक बार उन्होंने एक एकड़ लहसुन बोया था। उसमें 28 ¨क्वटल उत्पादन हुआ। पर, बाजार न मिलने की वजह से बेहतर दाम नहीं मिल सका। 2001 में एमबीए की शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने यूनाइटेड नेशन डेवलपमेंट प्रोग्राम में डिजास्टर मैनेजमेंट परियोजना अधिकारी के पद नौकरी कर ली। 2007 में नौकरी जब छोड़ी तो वह फिर गांव वापस आ गए। उद्यान महकमे और अन्य किसानों से भी उनके अनुभवों को साझा किया। फिर सोहावल फैजाबाद से पौध लाकर एक हेक्टेयर खेत में केले की फसल लगा दी। तकरीबन 2500 पेड़ों में अब केले के फल लग गए हैं। अवधेश को उम्मीद है कि उन्हें बेहतर उपज का लाभ जरूर मिलेगा। वे बताते हैं कि 80 हजार रुपये के करीब खर्च आया है। तीन से साढ़े तीन लाख रुपये तक की विक्री की आशा उन्हें है।

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