कुमार विश्वास पर चलेगा मुकदमा, शासन का केस वापसी का फैसला रद्द
सांसद-विधायक के लिए गठित विशेष न्यायालय के जज ने आठ अक्टूबर को विशेष लोक अभियोजक वैभव पांडेय के प्रार्थनापत्र पर जो आदेश में लिखा है उसमें कुमार विश्वास के खिलाफ दर्ज एफआइआर में सरकारी कार्य में बाधा मार्गजाम करके जनता को अवरुद्ध करना व आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के आरोप का जिक्र है।
सुलतानपुर : एमपीएमएलए कोर्ट के विशेष जज पीके जयंत ने सोमवार को कवि कुमार विश्वास पर चल रहे मुकदमा वापसी के फैसले को खारिज कर दिया। अदालत ने शासन के फैसले को जनहित की बजाय राजनीति से प्रेरित कहा। कोर्ट ने यह भी कहा कि सरकार के आदेश की तीन साल बाद फोटो कापी प्रस्तुत करना न्यायिक दृष्टि में पोषणीय नहीं है।
सांसद-विधायक के लिए गठित विशेष न्यायालय के जज ने आठ अक्टूबर को विशेष लोक अभियोजक वैभव पांडेय के प्रार्थनापत्र पर जो आदेश में लिखा है, उसमें कुमार विश्वास के खिलाफ दर्ज एफआइआर में सरकारी कार्य में बाधा, मार्गजाम करके जनता को अवरुद्ध करना व आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के आरोप का जिक्र है। लोक अभियोजक को मुकदमा वापसी के लिए जनता को न्याय दिलाने की मंशा से कार्य करना चाहिए, न कि किसी विशेष उद्देश्य से। यह भी लिखा है कि इस मुकदमे में दिल्ली के सीएम अरविद केजरीवाल सहित 6 अभियुक्त हैं, केवल विश्वास पर से मुकदमा वापस लेने का कोई आधार नहीं दर्शाया गया है। यह भी नहीं बताया गया कि जिसका मुकदमा वापस लिया जा रहा उसे कौन सा विशेषाधिकार प्राप्त है। अदालत ने यह भी लिखा है कि सुप्रीमकोर्ट ने हाल में ही आदेश दिया है कि जनप्रतिनिधियों पर दर्ज मुकदमों को वापस लेने से पहले उच्च न्यायालय से अनुमति ली जाए। इस मामले में शासन ने तीन साल पहले ही मुकदमा वापसी का आदेश दिया था, लेकिन उसे समय से अदालत के समक्ष नहीं पेश किया गया। साथ ही कोर्ट में फोटोप्रति अभिलेख मान्य नहीं। इस संबंध में अमेठी के एडीएम ने कोई स्पष्टीकरण भी नहीं दिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने कुमार विश्वास के खिलाफ जमानतीय वारंट जारी करते हुए तीन नवंबर को हाजिर होने का भी आदेश दिया।