जन औषधि केंद्र पर नहीं आते मरीजों के पर्चे
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सुलतानपुर : गरीब मरीजों को सस्ते दर पर दवाएं मिलें, कोई भी मरीज दवा के बगैर मरने न पाए। इसके लिए जिला अस्पताल में जनऔषधि केंद्र की स्थापना की गई, लेकिन चिकित्सक ही सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना में पलीता लगा रहे हैं। कमीशनबाजी के फेर में उनके लिखे पर्चे की दवाएं इन केंद्रों पर मिलती ही नहीं हैं। मजबूरी में मरीजों को बाहर मेडिकल स्टोरों पर महंगे दामों पर दवाएं खरीदनी पड़ती हैं।
जिला अस्पताल में खुला जन औषधि केंद्र अब मरीजों के लिए दिखावा बनता जा रहा है, जबकि इस केंद्र से मरीजों को 10 से 90 प्रतिशत सस्ती दवाएं उपलब्ध हैं। इसके बावजूद मरीज केंद्र की ओर रुख न कर अस्पताल के बाहर स्थित मेडिकल स्टोरों से दवा खरीदते हैं। अस्पताल प्रशासन भी इस ओर चुप्पी साधे हुए है।
-प्रतिदिन दो से तीन हजार आते हैं मरीज
जिला अस्पताल में इलाज के लिए औसतन दो हजार से तीन हजार के बीच मरीज आते हैं। जनऔषधि केंद्र पर 360 प्रकार की दवाएं व इंजेक्शन होने के बाद भी दवा बाहर से खरीदी जाती है। हर दिन मात्र 50 या 60 मरीज ही केंद्र पर दवा खरीदने पहुंच रहे हैं।
- मरीजों की हो रही जेब ढीली
अस्पताल में इलाज कराने आने वाले मरीजों को देखते समय डॉक्टर द्वारा लिखी जाने वाली दवाओं के फार्मूले में परिवर्तन करने से दवा जन औषधि केंद्र पर उपलब्ध नहीं हो पाती। जिससे मरीज को बाहर बने मेडिकल स्टोर का सहारा लेना पड़ता है।
जन औषधि प्रभारी को वार्ड में जाकर मरीजों को दवाओं की खरीदारी करने के लिए प्रेरित करने का निर्देश दिया जाएगा। कोई भी चिकित्सक यदि बाहर की दवा लिखता पाया गया तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
डा. वीबी सिंह, सीएमएस