इंटरनेट व मनोवैज्ञानिक कारणों से गांवों की ओर बढ़ी समलैंगिकता
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संवादसूत्र, सुलतानपुर : इंटरनेट व मनोवैज्ञानिक कारणों से अब शहरों से गांवों की ओर भी समलैंगिकता व लेस्बियन संबंध के अंकुर फूटने लगे हैं। स्मार्ट मोबाइल पर सस्ते इंटरनेट की सेवा से पोर्नोग्राफी से युवक व युवतियां ग्रस्त हो रहे हैं। इससे होने वाली उत्तेजना के परिणामस्वरूप उनमें मनोवैज्ञानिक बदलाव तेजी से हो रहे हैं। यही वजह है कि पढ़ने-लिखने की उम्र में युवा द्वि¨लगी संबंधों के अलावा समलैंगिक व लेस्बियन की ओर भी अपने कदम बढ़ा रहे हैं। हाल ही में ग्रामीण क्षेत्र में दो सहेलियों के बीच समलैंगिक संबंधों की बात सामने आने के पीछे भी संभवत: इन्हीं चीजों को वजह माना जा रहा है। यूं तो महानगरों में समलैंगिक संबंध अब आम बात हो चली है। सुप्रीम कोर्ट से विधिक मान्यता मिलने से जगह-जगह गे-क्लब खुले तौर पर चलने लगे हैं। बालीवुड के कलाकार भी चर्चा में हैं।..लेकिन गांव-गिरांव के कस्बों व छोटे शहरें में अभी परंपरा, संस्कृति एवं मान्यताएं बरकरार हैं। पुरुषों की समलैंगिकता तो गाहे-बगाहे अपने शहर में भी दबी जुबान ही सही, चर्चा में रही है। समाज के कुछ प्रतिष्ठित लोग भी समलैंगिकता को लेकर अपने समय में चर्चित रहे। बावजूद इसके कभी भी ऐसे रिश्तों को सामाजिक मान्यता नहीं मिल सकी। हां, महिलाओं की समलैंगिकता यहां के लिए नई बात है। लम्भुआ के एक विद्यालय की दो छात्राओं की गत दिवस जब एक साथ मौत हुई तो पड़ताल में मिले तथ्य इसी ओर इशारा करते हैं। ग्रामीणांचल में महिला समलैंगिकता (लेस्बियन) का मामला प्रकाश में आया तो सामाजिक क्षेत्र में हलचल मच गई। चर्चाएं चहुंओर चल रही हैं, लेकिन दबी जुबान। हम तो इसे मानेंगे मनोविकार : मनोचिकित्सक
शहर के जाने-माने मनोचिकित्सक डा.एसएम वर्मा कहते हैं पुरुषों की समलैंगिकता के कई केस मेरे पास आ चुके हैं, लेकिन लेस्बियन यहां नहीं मिले। हम इसे मनोविकार मानते हैं। समाज बदल रहा है। ऐसे में जरूरत है पीड़ित व संबंधित परिवार की काउंसि¨लग करने की।
पश्चिमी प्रभाव
राणा प्रताप पीजी कॉलेज के पूर्व समाजशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ.एमपी ¨सह कहते हैं कि भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता में परंपरा सर्वोपरि है। इंटरनेट व वैश्वीकरण ने हमारे समाज को प्रभावित किया है।