सात जनवरी से होगी क्षय रोगियों की पहचान
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संवादसूत्र, सुलतानपुर : सक्रिय क्षयरोगी खोज अभियान के तहत सात से 17 जनवरी तक घर-घर चिकित्सीय टीम पहुंचकर टीबी मरीजों की पहचान करेगी। इसके लिए जिले के दो ब्लॉक चुने गए हैं। इन विकास खंडों में दो लाख 60 हजार जनसंख्या का सर्वेक्षण किया जाएगा। 38,825 घर चिन्हित किए गए हैं। निर्धारित समय सीमा में घरों तक पहुंच क्षय रोगियों की खोज कर मुख्यालय को रिपोर्ट करने के साथ-साथ तत्काल उनका इलाज शुरू करने का निर्देश मुख्य विकास अधिकारी राधेश्याम ने शुक्रवार को दिया।
लम्भुआ विकास खंड में 17334 और प्रतापपुर कमैचा में 21491 घरों तक जांच करने के लिए 60 टीम लगाई गई है। पांच टीम पर एक सुपरवाइजर और तीन सुपरवाइजर पर एक चिकित्सक निगरानी के लिए तैनात किए गए हैं। प्रत्येक टीम में आशा बहू, आंगनबाड़ी और एनजीओ वर्कर सहित तीन लोग शामिल रहेंगे।
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ऐसे होता है टीबी का रोग
टीबी रोग महामारी की तरह घातक है। दूषित पानी व गंदे स्थानों पर मिट्टी में माइक्रो बैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस जीवाणु पाए जाते हैं, जो प्रतिरोधक क्षमता की कमी से इंसान के शरीर में प्रवेश कर जाता है। वह शरीर के किसी भी हिस्से फेफड़े, किडनी, मेरुदंड व दिमाग आदि पर प्रभाव डालता है। अनुचित खानपान से भी यह बैक्टीरिया सक्रिय हो जाता है। इसलिए स्वच्छता अपनाने के साथ-साथ दवा मरीज को ठीक करने के लिए अति आवश्यक होता है। 1875 हैं क्षयरोगी
जिले में 1875 टीबी के रोगियों का इलाज चल रहा है। इसमें 112 एमडीआर (मल्टी ड्रग्स रेजिस्टेंट) टीबी मरीज हैं। इनका इलाज जिला अस्पताल परिसर स्थित डा.अमिताष मिश्र की देखरेख में चल रहा है, लेकिन अतिसंक्रमित रोगियों के लिए परिसर में बने एमडीआर सेंटर में ताला लटका रहता है। अस्पताल प्रशासन स्टाफ की व्यवस्था अभी तक नहीं कर सका है। डा.मिश्र कहते हैं कि इस नाते कभी-कभी घातक बीमारी से बचाव का उचित ट्रीटमेंट नहीं हो पाता।