आढ़तियों ने खरीद लिया 55 हजार कुंतल धान, विवश किसान
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संवादसूत्र, लम्भुआ (सुलतानपुर) : तहसील के पांच सरकारी धान क्रय केंदों पर 14 दिन बाद भी खरीद का बनवास नहीं टूटा है। सभी केन्द्रों पर बुधवार को भी सन्नाटा छाया रहा। वहीं दूसरी तरफ निजी आढ़तियों ने एक ही तहसील से गत 14 दिनों के अंदर 55 हजार कुंतल धान खरीद लिया। रबी फसलों की बोआई के लिए रकम की जरूरतों के चलते किसान अपनी उपज को औने-पौने दाम पर ही आढ़तियों के हाथों बेचने को मजबूर हो गए हैं। बावजूद अभी तक शासन-प्रशासन सरकारी क्रय केंद्रों पर धान की खरीद शुरू नहीं करवा पाए हैं।
प्रदेश सरकार ने किसानों को वाजिब कीमत दिलाने के लिए तहसील क्षेत्र में पांच व जिले भर में 28 सरकारी क्रय केंद्र खोले हैं। पांच क्षेत्रीय क्रय केंद्रों में खाद्य एवं रसद महकमे के तीन केंद्र लम्भुआ, भदैंया व प्रतापपुर कमैचा विकास खंड में संचालित हैं। दो केंद्र पीसीएफ के चितावनपुर व सूर्यभानपट्टी गांव में खोले गए हैं। इस बार एक नवंबर से प्रदेश सरकार ने केंद्रों को संचालित करने के निर्देश भी दिए थे। पर, राइसमिलर्स ने धान खरीदने के लिए अपना पंजीकरण ही नहीं कराया। लिहाजा, क्रय प्रभारियों के समक्ष दिक्कत यह थी कि वे धान खरीद कर उन्हें कहां भेजते। विपणन निरीक्षक भी हड़ताल पर चले गए। सूत्रों के मुताबिक अब तक तहसील के हनुमानगंज, शिवगढ़, शंभूगंज, लम्भुआ, कोथरा, चांदा, कोइरीपुर आदि कस्बों में मौजूद निजी आढ़तियों ने किसानों से करीब 55 हजार कुंतल धान की खरीद कर ली है। तहसील क्षेत्र में इस वक्त 20 व्यापारियों के पास आढ़त का लाइसेंस है, जो उपज खरीद कर उन्हें दूसरे प्रदेशों में भेजते हैं। आढ़तियों द्वारा खरीद की गई यह उपज हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड के अलावा यूपी के आगरा, कानपुर, विलासपुर व मथुरा को भेजी जा रही है। सरकारी दर 1770, किसानों को मिल रहा 1200-1400 का भाव
धान का समर्थन मूल्य सरकार ने 1770 रुपये प्रति कुंतल तय किया है। जबकि आढ़ती 1200-1400 रुपये की की दर से किसानों का धान खरीद रहे हैं। आढ़तियों का कहना है कि उन्हें दूसरे प्रदेश में धान पहुंचाने पर सिर्फ 150 रुपए प्रति ¨क्वटल का ही फायदा हो रहा है। क्योंकि मंडी शुल्क, लो¨डग-अनलो¨डग चार्ज के अलावा ट्रक भाड़ा भी आढ़ती खुद वहन कर रहे हैं। प्रदेश में भले ही सरकार 1770 रुपये प्रति कुंतल की दर से धान की खरीद का एलान किया है, लेकिन दूसरे प्रदेश में राइस मिलर्स 1550 रुपये प्रति कुंतल से अधिक कीमत नहीं दे रहे हैं।
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किसानों ने बयां किया दर्द
कस्बे से सटे देवरी निवासी जितेंद्र बहादुर ¨सह चार दिन पहले 13 कुंतल धान मात्र 1300 रुपये की दर से बेच चुके हैं। वह कहते हैं कि सरकारी केंद्रों पर काफी झंझट रहती है। सैतापुर सराय निवासी कृष्णपाल ¨सह भी 15 कुंतल धान बेच चुके हैं। कहते हैं कि क्रय केंद्रों पर तौल के लिए लाइन लगानी पड़ती है। रहतीपुर निवासी राजेश वर्मा 12 कुंतल, अभियाखुर्द निवासी सियाराम पांडेय व शिवबहादुर यादव ने भी व्यापारी के हाथों करीब 1350 रुपये प्रति कुंतल की धर से अपनी उपज बेची है।
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-खरीद बंद होने से किसानों के समक्ष उत्पन्न हुई समस्या से वाकिफ हूं। जिन मजबूरियों के चलते वे अपना धान आढ़तियों को बेच रहे हैं उसका दर्द मुझे है, पर निर्णय ऊपर से होने हैं। इस लिहाज से मैं अभी कुछ कर पाने की स्थिति में नहीं हूं।
-विनीता मिश्रा, जिला खाद्य एवं विपणन अधिकारी