मौसम और बारिश ने अन्नदाताओं में जगाई उम्मीद
पौधों में कल्ले अधिक निकलने से उत्पादन में वृद्धि की संभावना जताई जा रही है।
सुलतानपुर : नियमित अंतराल पर हुई बेहतर बरसात ने अन्नदाताओं की उम्मीदों को जगा दिया है। धान की फसल अच्छी है ही, रुक-रुककर हुई बारिश ने दलहनी और तिलहनी फसलों को भी भरपूर बढ़ोत्तरी का मौका दिया है। कई सालों बाद इन नकदी फसलों के अच्छा होने और उत्पादन बढ़ने के आसार बने हैं।
जून के मध्य में प्री मनसून और जुलाई के पहले सप्ताह में मानसून की जोरदार वर्षा से खरीफ सत्र की फसलों को कुदरत का भरपूर साथ मिला। जिले में इस दौरान तकरीबन 96 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में धान व 20 हजार हेक्टेयर में अरहर का आच्छादन किया गया है। रोपाई के बाद फसलों को वर्षा के जरिए समय-समय पर पर्याप्त पानी मिलने से सिचाई लागत में बचत हुई है साथ ही फसलों का पोषण भी हुआ है। कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि वर्षा से सिचाई के दौरान पौधों को प्राकृतिक रूप से नाइट्रोजन की आपूर्ति हो जाती है, जो इनकी जड़ों को मजबूत करने में सहायक होती है। आचार्य नरेंद्र देव कृषि विश्वविद्यालय कुमारगंज, अयोध्या के मृदा विभाग के वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ. आरआर सिंह ने कहा कि वर्षा के पानी से सिचित धान की फसल के पौधों में कल्ले अधिक निकलने से उत्पादन में वृद्धि होती है। साथ ही कटाई से पूर्व आंधी आने या वर्षा होने से फसलों के गिरने की संभावना भी कम हो जाती है।
इस माह हुई औसत वर्षा : बीते पांच वर्षों की तुलना में इस साल माह जुलाई में औसत सामान्य वर्षा 292 मिमी के सापेक्ष 25 जुलाई तक 216 मिमी वर्षा दर्ज की गई है। इसके पूर्व 2015 में 198 मिमी, 2016 में 315, 2017 में 376, 2018 में 340 तथा 2019 में इसी माह में 396 मिमी वर्षा हुई थी। विश्वविद्यालय के मौसम विभाग के प्रभारी डॉ. अमरनाथ मिश्रा ने कहा कि फसलों के लिए रुक रुक कर होने वाली वर्षा लगातार तेज होने वाली वर्षा से अधिक लाभदायक है।