चिकित्सक-दलाल व दवा कंपनियां मस्त, मरीज पस्त
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सुलतानपुर : सरकारी अस्पतालों में चिकित्सकों, दलालों व दवा कंपनियों का गठजोड़ हावी है। जो दवाएं अस्पताल की फार्मेसी में उपलब्ध हैं, उन्हें भी बाहर से लिखा जा रहा है। जिले की चिकित्सा व्यवस्था को कठघरे में खड़ा करने वाला यह गंभीर आरोप हमारा नहीं, बल्कि उन मरीजों का है जो जिला अस्पताल, सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर मुफ्त व बेहतर इलाज की आस लेकर जाते हैं।
चिकित्सालयों में दवा-इंजेक्शन अपेक्षित मात्रा में उपलब्ध कराने के लिए उप्र मेडिकल सप्लाई बोर्ड का गठन किया गया है। करीब 72 दवाएं आपूर्ति सूची में शामिल हैं। फिर भी पैरासीटामॉल, कैल्सियम, आयरन, पेनकिलर व कीमती एंटीबॉयोटिक बाहर के मेडिकल स्टोरों से मरीजों को लिखे जा रहे हैं। जिला अस्पताल में इलाज कराने आईं कूरेभार की राजकुमारी, दूबेपुर की संगीता, बहादुर पुर की राजिया बानो, गोसाईगंज की जगपता व अहिमाने की सूरसती ने बताया कि डॉक्टर ने जो दवाएं लिखी थी, वह बाहर के मेडिकल स्टोर से तीन से पांच सौ रुपये में मिलीं। इसी तहर से विभिन्न वार्डो में भर्ती अधिकतर मरीजों के रिश्तेदारों का कहना था कि सुबह-शाम लगने वाला इंजेक्शन बाहर से खरीदना पड़ता है।
निजी पैथोलॉजी से कराई जा रही जांच
एक्सरे, अल्ट्रासाउंड व खून की जांच निजी पैथोलॉजी सेंटरों से कराई जा रही है। इन जांच केंद्रों के रेफरल पैड सरकारी चिकित्सकों के टेबल पर रखे हुए कभी भी देखे जा सकते हैं। रेफरल के एवज में डॉक्टरों को पैथोलॉजी मालिक मोटा कमीशन देते हैं। दवा कंपनी व जांच केंद्रों के एजेंट ओपीडी में चिकित्सकों के कक्ष में डटे रहते हैं।
जीवन रक्षक सभी दवाएं अस्पताल में पर्याप्त मात्रा में मौजूद हैं। बाहर से दवाएं लिखना सेवा नियमावली के खिलाफ है, ऐसे चिकित्सकों को चिन्हित कर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। दलालों पर भी नकेल कसी जाएगी।
-डॉ. वीबी ¨सह, सीएमएस जिला अस्पताल।