सुलतानपुर सीट पर कांग्रेस को जीत का इंतजार
पिछले कई चुनावों से सपा-भाजपा काबिज बसपा का नहीं खुला खाता
हरीराम गुप्ता, सुलतानपुर: आजादी के बाद से पांच बार जीत हासिल करने वाली कांग्रेस को सुलतानपुर सीट से खोई प्रतिष्ठा वापस पाने का इंतजार है। भाजपा इस सीट पर जीत को निरंतर बनाए रखना चाहती है, तो बसपा जातीय समीकरण के सहारे चुनावी वैतरणी पार करने जुगत में लगी है। तीन बार इस सीट पर काबिज रही सपा भी अबकी बार पूरा जोर लगाएगी।
वर्ष 1957 व 1962 में सुलतानपुर सीट पर कांग्रेस का कब्जा रहा। 1967 से लेकर वर्ष 1974 तक इस सीट पर तीन बार जनसंघ ने जीत दर्ज की। 1977 में सीट जनता पार्टी के पाले में चली गई। माहौल बदला और फिर 1980, 1985 व 1989 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर कांग्रेस का दबदबा कायम हो गया। परिस्थितियां बदलीं और 1990 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के ने इस सीट को कांग्रेस से वापस छीन लिया।
तीन-तीन बार जीती भाजपा और सपा:
पिछले तीन दशक में हुए छह विधानसभा चुनावों में इस सीट से तीन बार भाजपा व तीन बार समाजवादी पार्टी को जीत मिल चुकी। 1993 के विधानसभा चुनाव में सपा के टिकट पर बरकत अली खान विधायक बने थे। 1996 के चुनाव में भाजपा ने जीत हासिल की और सूर्यभान सिंह विधायक बने। 2002 में भाजपा ने ओम प्रकाश पांडेय को उम्मीदवार बनाया जो कि जीतकर प्रदेश सरकार में मंत्री भी बने। रेहड़ी पटरी, मजदूरों के हितों को लेकर जिले में चर्चित अनूप संडा ने 2007 में भाजपा को शिकस्त दी। 2012 के चुनाव में भी अनूप संडा पर ही जनता ने भरोसा जताया। इस चुनाव में भाजपा के सूर्यभान सिंह चौथे नंबर पर रहे।
मोदी लहर में फिर खिला कमल:
वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने फिर से सूर्यभान सिंह को प्रत्याशी बनाया। मोदी लहर में बहुजन समाज पार्टी के मुजीब अहमद को 32,393 वोटों से हराकर वह जीत का परचम फहराने में कामयाब रहे।
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208- मतदान केंद्र
442- मतदेय स्थल
3,75,284- मतदाता
वर्तमान विधायक- सूर्यभान सिह (भाजपा)