बिल न बही जो प्रधान जी कह दें वही सही!
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संजय तिवारी, सुलतानपुर :
गांवों के विकास के लिए आने वाले सरकारी धन को जिम्मेदार हजम कर जा रहे हैं। विभन्न ग्राम पंचायतों में हो रही जांच में अनियमितता के प्रकरण उजागर हो रहे हैं। जांच समितियां हतप्रभ हैं। उनके समक्ष व्यय किए गए धन की रसीद, कार्ययोजना के प्रस्ताव व उनके क्रियान्वयन संबंधी रजिस्टर सहित अन्य अभिलेख अफसरों को मुहैया नहीं कराए जा रहे हैं। हालात ये बन गए हैं कि जो प्रधान जी कह दें वही सही मान लिया जाता है। जब उन्हें एफआइआर की चेतावनी मिलती है तब वे आनन-फानन में फर्जी रसीद व अन्य वांछित अभिलेख साक्ष्य के रूप में जांच समिति के समक्ष प्रस्तुत कर देते हैं। यह स्थिति एक-दो नहीं, बल्कि दर्जनों गांवों में है। प्रशासन का चाबुक चलने के बाद भ्रष्टाचार की परत-दर-परत अब खुल रही है।
दूबेपुर ब्लाक के अहिमाने ग्राम सभा में 6 लाख 76 लाख रुपये का गबन पकड़ा गया। महानपुर में करीब पौने छह लाख की धनराशि की हेराफेरी में प्रधान को निलंबित कर उनके अधिकार सीज कर दिए गए। जय¨सहपुर के फाजिलपुर व लम्भुआ ब्लाक के अर्जुनपुर ग्राम सभा के प्रधान को दो दिन पहले निलंबित किया गया। मोतिगरपुर के मैरीरंजीतपुर में करीब पौने आठ लाख का घपला उजागर हुआ है। प्रत्यक्ष तौर पर 3 लाख 65 हजार, जिसमें चार खड़ंजा मार्ग की मरम्मत,बिना टेंडर के स्ट्रीट लाइट व लोकल सोलर लाइट लगवाने में गड़बड़ी मिली है। अभिलेखों में इनके खरीदे गए सामान किस कीमत पर लिए गए इसका उल्लेख नहीं है। सभी कार्यों में आयकर की चोरी भी पकड़ी गई है। एक फर्म को 1.90 लाख के करीब भुगतान किया गया है, लेकिन मद का पता नहीं है। नवंबर-17 में पांच चेक के जरिए खाते से चार लाख के आसपास पैसा किस कार्य के लिए निकाला गया,इसका उल्लेख नहीं मिलता है।
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बनाया जाता है दबाव
जांच में प्रभावित होने वाले प्रधान अफसरों पर मनमाफिक रिपोर्ट बनाने के लिए दबाव भी बनातें हैं। डीडीओ डॉ. डीआर विश्वकर्मा ने बताया कि उनके साथ ऐसा हो चुका है।
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सरकारी पैसे का दुरुपयोग करने वाले प्रधान हों या सरकारी कर्मचारी वे बख्शे नहीं जाएंगे।
डॉ.निरीश चंद्र साहू, डीपीआरओ