नहीं खुला सीएचसी का गेट मरीज को पड़ा लौटना
भदैंया सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का मामला है। सीएमओ ने जांच के निर्देश दिए।
सुलतानपुर : रात में अगर आपकी तबीयत खराब हो जाए अथवा सड़क हादसे में कोई घायल होता है तो आप सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) का रुख कतई न करें, क्योंकि यहां इमरजेंसी में भी बंद दरवाजा नहीं खुलता है। ऐसा ही वाकया सोमवार रात को हुआ, जब एक बीमार महिला को लेकर कुछ लोग सीएचसी पहुंचे। यहां दो घंटे तक गेट नहीं खुला। ऐसे में मजबूर होकर महिला को निजी चिकित्सक के पास ले जाना पड़ा।
रात करीब एक बजे रामपुर हनुमानगंज निवासी रामदेई पत्नी बुद्धू के पेट में तेज दर्द उठा तो परिवारजन उन्हें सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) ले गए। गलन भरी ठंड में करीब दो घंटे तक बाहर खड़े रहे। दरवाजा पीटने व आवाज लगाने पर भी अंदर से बंद गेट नहीं खोला गया। इन लोगों ने इस पर स्वास्थ्य महकमे के हेल्पलाइन पर फोन किया। लेकिन, दरवाजा तब भी नहीं खुला। काफी देर इंतजार करने के बाद परिवारजन बीमार महिला को निजी चिकित्सक के पास ले जाने के लिए निकल गए।
दरअसल, पूर्व में भी इस तरह की घटनाएं पेश आई हैं। वहीं, सीएचसी में रात की ड्यूटी पर प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉ. राकेश सिब्बल, फार्मासिस्ट आशुतोष पांडेय, स्टाफ नर्स ललिता जोसेफ और दाई हसीना सहित अन्य कर्मचारी मौजूद थे। इस संबंध में सीएचसी प्रभारी डॉ. राकेश सिब्बल ने बताया कि रात में मैं स्वयं इमरजेंसी ड्यूटी रूम में ही मौजूद था। उन्होंने बताया कि रात में यहां पर कोई नहीं आया। मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ. डीके त्रिपाठी ने बताया कि मामले की जांच कराई जाएगी। इस घटना में जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ कार्रवाई होगी।