खरना पर छठ व्रतियों ने रखा निर्जला व्रत
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सुलतानपुर: छठव्रतियों ने शुक्रवार को खरना पर दिनभर निर्जला व्रत रखा व विधि-विधान से पूजन किया। सुहागिनों ने सुबह स्नान करके व्रत की शुरुआत की। इसके बाद पूरे दिन अन्न व जल कुछ ग्रहण नहीं किया। इस प्रकार निर्जला व्रत पूरा करने के बाद देर रात गुड़ की खीर व रोटी से अपना व्रत तोड़ा। व्रतियों ने छठ पूजा के लिए प्रसाद बनाकर मिट्टी के 24 कोसे में सजाना शुरू कर दिया है। इस दिन से छठ के अंतिम दिन तक शरीर से लेकर मन तक को शुद्ध रखा जाता है। शनिवार को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा।
शहर के चौक, मेजरगंज, पारकींसगंज, दरियापुर, रुहट्ठा गली, ठठेरी बाजार, लखनऊ नाका आदि इलाकों में बड़ी संख्या में बिहार और पूर्वांचल के लोग निवास करते हैं। श्रद्धालुओं ने शुक्रवार को बाजार से सूप, आम की लकड़ी, डाला, हल्दी, अदरक, नारियल, नारियल, खाजा, मिठाई, सौंफ-इलायची, फल, मखाना, गन्ना आदि की खरीदारी पूरी कर ली। शुक्रवार से ही सीताकुंड पर व्रतियों के परिवारजनों का आना जाना शुरू हो गया। बीती शाम घाट पर बने चौरे की दोबारा साफ-सफाई की गई।
अर्घ्य की तैयारी में जुटीं व्रती
चौक निवासी व्रती शांति सोनी ने बताया कि खरना वाले दिन रात में उपवास तोड़ने के बाद अगले दिन छठ की तैयारी शुरू कर दी जाती है। पहने हुए गहनों, चूड़ी आदि को उतारकर साफ कपड़े पहने जाते हैं। जिसके चावल के लड्डू, फल, नारियल, हल्दी, खाजा, ठेकुआ, मिठाई आदि को सूप में सजाया जाता है। तैयार प्रसाद को मिट्टी के बने 24 कोसे में रखा जाता है। जिसे लेकर घाट पर जाते हैं। यहां पुत्र व नाती को आगे खड़ाकर शुभ योग में डूबते सूर्य देव को संध्या कालीन अर्घ्य दिया जाता है। घाट से घर लौटने पर गन्ने के बने मंडप के नीचे कोसे आदि को रखकर पूजा की जाती है।