किसानों को नहीं भा रही गन्ने की मिठास
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सुलतानपुर: किसानों की जीवनरेखा मानी जाने वाली गन्ने की फसल से उनका मोह भंग हो रहा है। गन्ने का रकबा घट रहा है। जो किसान गन्ने की बोआई में लगे हैं, उन्हें पर्ची कटाने से लेकर पेराई तक समस्याओं से जूझना पड़ता है। जर्जर हालत में चल रही इकलौती चीनी मिल को किसान इस स्थिति का जिम्मेदार मानते हैं। यही कारण है कि किसान दूसरी नगदी फसलों की ओर रुख कर रहे हैं।
वर्ष 2014-15 में 10,897 हेक्टेयर क्षेत्र में गन्ने की बोआई हुई और 63.30 एमटी गन्ने का उत्पादन हुआ। पांच साल में गन्ने के क्षेत्रफल में तकरीबन तीन हजार हेक्टेयर की कमी आई है। यह सिमटकर 7,940 हेक्टेयर रह गया है। जय¨सहपुर के मलवा निवासी किसान विजय बहादुर वर्मा ने कहा कि गन्ने की पेराई उनकी सबसे बड़ी समस्या है। मुगर गांव के केशवराम ने पर्ची कटने की व्यवस्था और दर्जीपुर के अमरजीत ने भी मिल प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया है। बगिया गांव के राहुल वर्मा ने कहा कि लागत के अनुरूप उन्हें मुनाफा नहीं मिल पा रहा है। 18 घण्टे ठप रही मिल
रविवार से मंगलवार की देर शाम तक कुछ घंटों को छोड़ तकरीबन 18 घंटे तक मिल में पेराई बंद रही। करोड़ों का बजट मिलने के बाद भी मिल के हालात नही बदले। 16 लाख ¨क्वटल के सापेक्ष अभी तक चार लाख चालीस हजार ¨क्वटल ही गन्ने की पेराई हो सकी। प्रधान प्रबन्धक केपी शुक्ल ने बताया कि मशीन के नट बोल्ट ढीले हो जाते हैं, जिन्हें ठीक करके ही चलाया जाता है। फिलहाल पेराई चालू है।