बैंकों की हड़ताल से 60 करोड़ से अधिक का कारेाबार प्रभावित
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सुलतानपुर: वेतन समझौता, बैंकों के विलय, आउटसोर्सिग आदि कई मुद्दों को लेकर बैंक कर्मचारियों ने बुधवार को हड़ताल की। इस दौरान साठ करोड़ से अधिक का कारोबार प्रभावित होने का दावा बैंक इंपलाइज यूनियन ने किया है।
उत्तर प्रदेश बैंक इंपलाइज यूनियन व सहयोगी ट्रेन यूनियनों ने बीओबी, इलाहाबाद बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, केनरा बैंक, विजया बैंक, ओरियंटल बैंक आदि के कर्मचारियों ने पहले अपनी-अपनी शाखाओं पर तालाबंदी कर नारेबाजी की। इसके बाद बस स्टेशन स्थित कार्यालय बैंक ऑफ बड़ौदा पर एकत्रित हुए। वहां पर कर्मियों ने गोष्ठी की। जिसमें वक्ताओं ने कहा कि सरकार बैंकों का विलय कर अच्छा कार्य नहीं कर रही है। वहीं वेतन समझौता लागू करने में आनाकानी उसकी सकारात्मक सोच का द्योतक नहीं है। इसके बाद लोग क्षेत्रीय कार्यालय बैंक ऑफ बड़ौदा पहुंचे। वहां अपनी आवाज सरकार तक पहुंचाने के लिए नारेबाजी की। इस दौरान बैंक इंपलाइज यूनियन के जिलाध्यक्ष आलोक सिंह, सचिव अजय सिंह, अरुण सिंह, पूनम तिरकी, अनिल मिश्र, मनोज कुमार, मो.गौस खान, छविलाल यादव आदि कर्मी मौजूद रहे।
बीमा कर्मचारियों ने की हड़ताल
बीमा कर्मचारी भी हड़ताल पर रहे। लोगों ने एलआईसी को शेयर मार्केट में लाने की नीति पर रोक लगाने, एफडीआई बढ़ाने की कोशिश बंद करने, पुरानी पेंशन बहाल करने, अस्थाई कर्मचारियों की नियमित नियुक्ति करने, लंबित वेतन के पुनर्निधारण सहित कई मांगों को लेकर सुपर मार्केट स्थित कार्यालय में प्रदर्शन किया। बीमा कर्मचारी संघ फैजाबाद डिवीजन के अध्यक्ष इंद्रदेव पाठक की अगुआई में माता प्रसाद पांडेय, अश्विनी कुमार, बबिता श्रीवास्तव, पीसी श्रीवास्तव, राजाराम, वासदेव यादव, राम अक्ष्यवर, जीडी पांडेय, एके श्रीवास्तव, नीतू सिंह आदि ने कर्मचारियों को संबोधित किया। वहीं डाकखाने में भी कर्मचारियों ने विभिन्न मुद्दों को लेकर आंदोलन किया। प्रधान डाकखाना कार्यालय के सामने सभी कर्मचारी एकत्र हुए। बीएसएनएल इम्प्लाइज यूनियन के हरिशंकर मिश्र ने कहा कि हड़ताल बैंक, रेलवे, बीमा संचार, बिजली, पेट्रोलियम सहित सभी सार्वजनिक उपक्रमों को निजी हाथों में बेचने के खिलाफ है। सीटू के संयोजक अशोक शुक्ला ने कहा कि कई चक्र की वार्ताओं के बाद जब सरकार ने अपना अड़ियल रुख नहीं बदला तो कर्मचारी हड़ताल को मजबूर हुए। वहीं भाकपा के जिला सचिव बाबूराम यादव ने दावा किया कि अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति जनवादी नवजवान सभा, एसएफआई आदि का भी समर्थन रहा।