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स्कूली बच्चों को जागरूक करने में जुटे सत्तार

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By JagranEdited By: Published: Sun, 11 Nov 2018 10:40 PM (IST)Updated: Sun, 11 Nov 2018 10:40 PM (IST)
स्कूली बच्चों को जागरूक करने में जुटे सत्तार
स्कूली बच्चों को जागरूक करने में जुटे सत्तार

संवादसूत्र, सुलतानपुर : कहते हैं कि स्कूलों में जो भी सिखाया-पढ़ाया जाता है, बच्चे उसे जस का तस ग्रहण करते हैं। यही नहीं घर परिवार और समाज को भी बच्चों से सीख मिलती है। यही वजह है कि अब्दुल सत्तार यातायात नियमों के प्रति जागरूक करने का माध्यम स्कूली बच्चों को बनाया। दस वर्षों से लगातार वे यातायात संगोष्ठियों के आयोजन करते आ रहे हैं। बच्चों के बीच यातायात एवं परिवहन महकमे के विशेषज्ञों को बुलाते हैं और संगोष्ठियों के आयोजन के जरिए उन्हें ट्रैफिक नियमों और सड़क सुरक्षा को लेकर जागरूक होने की नसीहत देते हैं।

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शहर के गभड़िया निवासी अब्दुल सत्तार एक निजी स्कूल के प्रबंधक हैं।..लेकिन सामाजिक सरोकार रखते हैं। खासकर मार्ग दुर्घटनाएं और इसके शिकार लोगों को लेकर उनकी खास संवेदनाएं हैं। करीब दस साल पहले उन्होंने एक मुहिम छेड़ी। बहुत ही शांति के साथ अपने दम पर यातायात संगोष्ठियों के आयोजन शुरू किए। माध्यम बनाया अपने स्कूल के नन्हें-मुन्ने बच्चों को। सन् 2005-06 में पहले अपने विद्यालय के बच्चों के जरिए शहर में यातायात जागरूकता रैली निकाली और फिर एक सिलसिला सा बन गया। साल-दर-साल स्लोगन लिखी तख्तियां लिए हुए बच्चों को आगे कर रैलियां निकाली जाने लगीं और साथ-साथ शुरू हो गया यातायात संगोष्ठियों का भी आयोजन। स्कूल प्रबंधन व विद्यार्थियों की दिलचस्पी देख पुलिस एवं परिवहन महकमे के अफसर भी इस मुहिम में शामिल हो गए। यातायात संगोष्ठियों के आयोजन भी विद्यालय में होने लगे। बाकायदा टीआई ट्रैफिक नियमों के विषय में नन्हें बच्चों को बताते और बच्चे अपने घर-परिवार में इन्हें साझा करते। विद्यालय प्रबंधक अब्दुल सत्तार बताते हैं कि 13 वर्ष से लगातार बच्चे रैलियां निकालते हैं और संगोष्ठियों के आयोजन में विशेषज्ञों की शिरकत होती है। इससे मुझे तसल्ली मिलती है कि मैने समाज के लिए कुछ सार्थक प्रयास किया है। जिसकी वजह से सड़क सुरक्षा को लेकर लोगों में कुछ तो जागरूकता आएगी! वहीं नगर के यातायात पुलिस के प्रभारी निरीक्षक वीरेंद्र प्रताप यादव स्वीकार करते हैं कि सत्तार के सहयोग से हमें एक मंच मिला है। जिससे कि अब हम सही जगह अपनी बातें पहुंचा पाते हैं।


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