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सरकारी अस्पतालों में एंटी रैबीज वैक्सीन का टोटा

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By JagranEdited By: Published: Wed, 16 Jan 2019 11:40 PM (IST)Updated: Wed, 16 Jan 2019 11:40 PM (IST)
सरकारी अस्पतालों में एंटी रैबीज वैक्सीन का टोटा
सरकारी अस्पतालों में एंटी रैबीज वैक्सीन का टोटा

संवादसूत्र, सुलतानपुर : राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत लाखों-करोड़ों रुपये हर साल खर्च किए जा रहे हैं, फिर भी सरकारी अस्पतालों में दवा-इंजेक्शन की किल्लत है। जीवन रक्षक वैक्सीन तक अपेक्षित मात्रा में उपलब्धता नहीं है। जिला चिकित्सालय, प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर एंटी रेबीज वैक्सीन (एआरवी) का टोटा है। ऐसे में साधनहीन वर्ग के मरीजों को समुचित चिकित्सा नहीं मिल पा रही है। पिछले कई दिनों से रेबीज का इंजेक्शन खत्म चल रहा है। इससे पहले हेपेटाइटिस-बी का इंजेक्शन खत्म होने की खबर को भी जागरण ने प्रमुखता से छापा था।

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कुत्ता, बंदर, सियार, सूकर व अन्य जानवरों के काटने से घायल लोगों की मुसीबत इन दिनों बढ़ गई है। उन्हें एंटी रेबीज वैक्सीन सरकारी अस्पतालों में नहीं मिल रही। ग्रामीणांचल के स्वास्थ्य केंद्रों पर हफ्ते में सिर्फ दो दिन ही एआरवी लगाई जाती है। पुराने मरीज तो तय रोस्टर के हिसाब से इंजेक्शन लगवा लेते हैं, पर नए मरीजों को इस व्यवस्था से परेशानी होती है। क्योंकि जख्मी होने के चौबीस घंटे के भीतर वैक्सीन लगवाना जरूरी होता है। ऐसे में सीएचसी-पीएचसी के चिकित्सक मरीजों को जिला अस्पताल रेफर कर अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़ लेते हैं।

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दो दिन बाद आई वैक्सीन, मची अफरातफरी

जिला अस्पताल में शनिवार को एंटी रेबीज वैक्सीन खत्म हो गई थी। बुधवार को दोपहर करीब एक बजे वैक्सीन आई तो मरीजों की कतारें लग गई। अफरातफरी के बीच अपराह्न दो बजे तक करीब 150 लोगों को ही वैक्सीन लग सकी।

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50 वायल रोजाना खपत

जिला अस्पताल में एआरवी की रोजाना खपत औसतन 50 वायल है। एक वायल में पांच डोज होता है। इस हिसाब से करीब 250 मरीजों को प्रतिदिन इंजेक्शन लगाया जाता है। यूपी मेडिकल आपूर्ति निगम ने बुधवार को सिर्फ 320 वायल एआरवी जिला अस्पताल को भेजी। खपत के लिहाज से यह स्टॉक बहुत कम है।

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335 रुपये है ¨सगल डोज वैक्सीन का दाम

बाहर के मेडिकल स्टोर पर एंटी रैबीज वैक्सीन का ¨सगल डोज वायल 335 रुपये में मिलता है। इससे मरीजों की जेब ढीली हो रही है।

-हमारे पास भी सिर्फ 150 वायल स्टॉक है। डिमांड पर सीएचसी को सिर्फ पांच वायल दिए जाते हैं। खपत के हिसाब से जिले में आपूर्ति कम है।

-डॉ. सीबीएन त्रिपाठी, सीएमओ


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