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समुद्र से एक बूंद निकालने जैसा है कैदियों की रिहाई

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By JagranEdited By: Published: Wed, 19 Sep 2018 11:19 PM (IST)Updated: Wed, 19 Sep 2018 11:19 PM (IST)
समुद्र से एक बूंद निकालने जैसा है कैदियों की रिहाई
समुद्र से एक बूंद निकालने जैसा है कैदियों की रिहाई

राजेंद्र यादव, सुलतानपुर : अमहट जेल बंदियों के बोझ से कराह रही है। क्षमता से तीन गुना अधिक कैदी कारागार में बंद हैं। इससे व्यवस्था चरमरा गई है। हर बैरक में भेड़ों की तरह बंदियों को रखा जाता है। गांधी जयंती पर रिहा किए जाने वाले सजायाफ्ता कैदियों की संख्या जेल में रखे गए बंदियों की मात्र 0.44 फीसद है। यह रिहाई समुद्र से एक बूंद पानी निकालने जैसी है। इससे जेल प्रशासन को तनिक भी राहत नहीं मिलने वाली है। क्षमता 443, निरुद्ध हैं 1347 बंदी जिला कारागार की क्षमता 443 बंदियों की है। मौजूदा समय में कुल 1347 बंदी निरुद्ध हैं। इनमें 165 सजायाफ्ता और 1176 विचाराधीन हैं। छह रासुका के तहत बंद हैं। महिला बंदियों की संख्या 53 हैं, एक बच्चा व 52 किशोर इसमें शामिल हैं। विभिन्न बीमारियों से पीड़ित 21 बंदियों को जेल के अस्पताल में रखा गया है। इनमें से सिर्फ छह सजायाफ्ता कैदियों को ही दो अक्टूबर के दिन आजाद किए जाने की तैयारी है। ---------

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15 बैरक पुराने, चार निर्माणाधीन

जेल में अस्पताल समेत कुल 15 बैरक हैं। प्रति बैरक में 100 से अधिक बंदी हैं। जबकि इन बैरक की क्षमता सिर्फ 30 बंदी की है। भीड़ की वजह से बंदियों के बीच आए दिन विवाद की स्थिति उत्पन्न होती रहती है। जेल अधीक्षक अमिता दुबे ने बताया कि दो मंजिला भवन का निर्माण चल रहा है, जिसमें चार बैरक बनने हैं। इसके बाद ही कुछ राहत मिल सकती है।

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23 बंदी रक्षकों के भरोसे चल रही व्यवस्था

जिला कारागार में सिपाहियों की भी भारी कमी है। 54 बंदी रक्षकों के पद सृजित हैं। जबकि मौजूदा समय में सिर्फ 23 की ही तैनाती है। इनमें से औसतन तीन-चार सिपाही कहीं न कहीं से अटैच रहते हैं। इनके अलावा 13 लंबरदार (सजायाफ्ता) जेल की व्यवस्था में सहयोग के लिए लगाए गए हैं। जेल अधीक्षक के अलावा पांच डिप्टी जेलर की तैनाती है।


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