रोपे जाते हैं लाखों पौधे पर नहीं फैलती हरियाली
जिले में कुल क्षेत्रफल का सिर्फ 0.45 फीसद वन क्षेत्र है। इस साल भी महोत्सव के दौरान 32 लाख पौधे रोपने का लक्ष्य तय किया गया है।
गोपाल पांडेय, सुलतानपुर : साल दर साल वन महोत्सव के नाम पर लाखों पौधे रोपे जाते हैं। बावजूद इसके जिले में न तो वन क्षेत्र में वृद्धि होती है न इनकी हरियाली दिखती है। यहां के कुल क्षेत्रफल का सिर्फ 0.45 फीसद वन क्षेत्र बीते कई वर्षों से कायम है। यह वन क्षेत्र यहां के पौधारोपण अभियान का सच बयां करता है। इस साल भी महोत्सव के दौरान 32 लाख पौधे रोपने का लक्ष्य तय किया गया है। तमाम विभागों को रोपण की जिम्मेदारी भी सौंप दी गई है। हर साल यह क्रम दोहराया जाता है पर हरियाली और वृक्षों की संख्या जस की तस रहती है।
आदर्श भौगोलिक स्थितियों में एक निश्चित भू-भाग का 33 प्रतिशत क्षेत्र वृक्षों से आच्छादित होना चाहिए। जिले में वृक्षों की अंधाधुंध कटान और बागों, वनों को खेत और मकान में तब्दील करने की होड़ मची है। बल्दीराय तहसील क्षेत्र के फतेहपुर जंगल से पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे गुजरने के चलते एक मुस्त 26 हजार पेड़ काट दिए गए। अयोध्या-प्रयागराज और वाराणसी-लखनऊ राजमार्ग के चौड़ीकरण में भी हजारों की संख्या में सैकड़ों वर्ष पुराने पेड़ों की कुर्बानी दी गई। हरियाली से वीरान हुए इन स्थलों को हरा-भरा करने के सार्थक प्रयास नहीं किए गए हैं। जिले में इस साल वन महोत्सव के दौरान 32 लाख 33 हजार 750 पौधे रोपित किए जाने का लक्ष्य बनाया गया है। जिनमें 19 लाख कृषि विभाग, 15 लाख वन तथा 11 लाख पौधे राजस्व विभाग रोपेगा। बीते साल भी 37 लाख और उसके पूर्व 21 लाख पौधे जिले में रोपे गए थे। इस वृहद पौधारोपण के बाद भी विडंबना है कि जिले में वन क्षेत्र का विस्तार नहीं हो सका है।
बोले पर्यावरण विद : पर्यावरण के प्रति संवेदनशील लोग इस स्थिति को दयनीय मानते हैं। डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय अयोध्या के पर्यावरण अध्यन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. जसवंत सिंह ने कहा कि पौधों को रोपने से अधिक आवश्यक है कि उन्हें बचाना। रोपित पौध की उत्तरजीविता बेहद जरूरी है। बीते दो-तीन सालों में सरकार इस दिशा में ध्यान दे रही है। जितना पौधारोपण आवश्यक है उतना ही पौधों को संरक्षित करना भी है, तभी स्थितियां बदलेंगी।