तो गिरा दी ाएंगी 150 से ज्यादा इमारतें?
सुलतानपुर : नियम-कानून को धता बताकर अवैध ढंग से निर्मित करीब 150 से ज्यादा शहर की इमारत
सुलतानपुर : नियम-कानून को धता बताकर अवैध ढंग से निर्मित करीब 150 से ज्यादा शहर की इमारतें गिरा दी जाएंगी। प्रशासन इन पर अंतिम मुहर भी लगा चुका है, लेकिन महीनों से विनियमित क्षेत्र प्राधिकारी दफ्तर फाइल दबाकर बैठा हुआ है। शहर में सुलतानपुर महायोजना हो या फिर मास्टर प्लान, दोनों ही परियोजना के अंतर्गत नियम-कानून ताक पर रखकर शहरी इलाके में इमारतों का निर्माण कार्य आम बात हो गई है। कहीं नजूल भूखंड पर निर्माण तो कहीं बगैर मानकों के अनुरूप नक्शा पास कराए ही तीन मंजिला, चार मंजिला इमारतें खड़ी कर दी गई हैं। यही नहीं बेसमेंट में भी खनन करके भूतल में निर्माण के दर्जनों मामले बेपर्दा हो चुके हैं। विनियमित क्षेत्र प्राधिकारी दफ्तर एवं नगर पालिका ने गत दिवस ऐसी इमारतों का चिन्हांकन किया। इनमें निजी मकान और दुकानों के साथ-साथ कई कांप्लेक्स भी जद में आए। लखनऊनाका पंचरास्ता समेत मुख्य बाजार, चौक, जीएन रोड, सिविल लाइन, करौंदिया, इलाहाबाद रोड, खैराबाद व दरियापुर समेत विभिन्न रिहायशी मुहल्लों में187 भवनों, दुकानों और कांप्लेक्सों की सूची प्रशासन ने बनाई। अवैध तरीके से बगैर अनुमति व मानकों के साथ खिलवाड़ करते हुए निर्मित इन इमारतों को ध्वस्त करने का प्रशासन ने फैसला भी कर लिया है। इसके लिए प्रशासनिक कवायद कागज पर पूरी भी कर ली गई। बस, इन्हें ढहाया जाना शेष है। लालफीताशाही के चलते इतना सब होने के बावजूद प्रभावी कार्यवाही ठंडे बस्ते में अटक गई है। महीनों से ये फाइल विनियमित क्षेत्र प्राधिकारी दफ्तर के जिम्मेदार अतिक्रमणकारियों को लाभ पहुंचाने के लिए दबा कर बैठे हुए हैं। पालिका भी उदासीन है। इस बारे में एसडीएम सदर प्रमोद पांडेय का कहना है कि संबंधित संदर्भों में प्रभावी तौर पर विधिक कार्यवाही अवश्य होगी।
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जिले में हैं 650 अवैध इमारतें : सुलतानपुर नगर क्षेत्र में जहां 187 अवैध भवन हैं, वहीं जिलेभर में नियम-कानून को ठेंगा दिखाकर बनाई गई इमारतों व जर्जर भवनों की तादाद करीब 650 है। इतना ही नहीं शहर के आसपास के दर्जनों गांव विनियमित क्षेत्र मास्टर प्लान व सुलतानपुर महायोजना के अंतर्गत अधिग्रहीत किए गए हैं। जहां पर व्यावसायिक अथवा निजी भवनों के निर्माण के लिए मानचित्र का विधिक तरीके से निर्माण कराना जरूरी है। इसके बावजूद नियम-कानून की अनदेखी की जा रही है। आरटीआइ कार्यकर्ता कौशलेंद्र ¨सह व रवींद्र प्रताप ¨सह के आरटीआइ के जवाब में प्रशासन ने ऐसी इमारतों की सूची प्रकाश में लाई है।