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मां दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्वरूप का हुआ दर्शन-पूजन

भगवती दुर्गा की नौ शक्तियों का दूसरा स्वरूप ब्रह्मचारिणी का है। देवी दुर्गा का यह स्वरूप एक ऐसी कन्या का है, जो भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या करने के कारण देवी को तपश्चारिणी अर्थात ब्रह्मचारिणी नाम से जाना गया।

By JagranEdited By: Published: Thu, 11 Oct 2018 09:41 PM (IST)Updated: Thu, 11 Oct 2018 09:41 PM (IST)
मां दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्वरूप का हुआ दर्शन-पूजन
मां दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्वरूप का हुआ दर्शन-पूजन

जागरण संवाददाता, सोनभद्र : भगवती दुर्गा की नौ शक्तियों का दूसरा स्वरूप ब्रह्मचारिणी देवी का है। देवी दुर्गा का यह स्वरूप एक ऐसी कन्या का है, जो भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थीं। इस कारण इस देवी को तपश्चारिणी अर्थात ब्रह्मचारिणी नाम से भी जाना जाता है।

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शारदीय नवरात्र के दूसरे दिन गुरुवार को घरों व मंदिरों में देवी दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा हुई। अलसुबह से ही श्रद्धालु मंदिर पहुंचे। भीड़ के बावजूद माता के दर्शन करने से भक्त कतार में लगे रहे। घरों में भी नवरात्र के दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी की आराधना की गई। सुबह जल्दी उठकर घर की साफ सफाई व नित्यकर्म से निवृत्त होकर भक्तों ने माता की चौकी सजाई। व्रतियों ने दुर्गा शप्तशती का पाठ किया। माता को प्रसाद का भोग लगाने के बाद आरती की। नगर के शीतला मंदिर, सातो शीतला मंदिर, दुर्गा मंदिर आदि में सुबह से ही श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। श्रद्धालुओं ने फल, फूल, नारियल आदि चढ़ाकर पूजन-अर्चन किया। शीतला मंदिर के पुजारी अछैवर नाथ शुक्ल ने बताया कि मां के इस रूप में ब्रह्मा की शक्ति निहित है। मां ब्रह्मचारिणी सृष्टि की संचालिका व विस्तार करने वाली हैं। स्त्री को इसी कारण सृष्टि का कारक माना जाता है। ये ज्ञान, वैराग्य व ध्यान की अधिष्ठात्री देवी हैं।

डाला प्रतिनिधि के अनुसार : मनचाही मुराद पूरी होने की उम्मीद लिए जनपद के अलावा बिहार व झारखंड के भक्तों की भीड़ मां वैष्णो के दरबार में गुरुवार को लगी रही। शारदीय नवरात्र के प्रत्येक सुबह मां वैष्णो के दर्शन के लिए भक्त रात में ही कतार में लग जा रहे हैं। आशा व विश्वास की डोर से बंधे चले आने वाले भक्त मां से अपनी अर्जी लगा रहे हैं। जनपद से सटे बिहार, झारखण्ड, मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ से भी भक्त डाला स्थित वैष्णो माता मंदिर में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं। श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए अग्रवाल धर्मार्थ समिति के लोग पूरी निष्ठा से उनकी सेवा में लगे हुए हैं। स्थापना दिवस पर विविध कार्यक्रम

डाला :श्री अचलेश्वर महादेव मंदिर के 51 वें स्थापना दिवस के अवसर पर इस बार भी रूद्राभिषेक नवाहन पारायण यज्ञ व मानस प्रवचन का आयोजन किया गया है। 13 अक्टूबर से प्रारंभ होने वाला यह कार्यक्रम 17 अक्टूबर तक चलेगा। मानस प्रवचन के लिए इस वर्ष बिहार के बक्सर से मानस मर्मज्ञ आचार्य मनीष कुमार पाण्डेय द्वारा श्रीराम कथा की जाएगी।


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