बिजली के निजीकरण के विरोध में कार्य बहिष्कार
केंद्र एवं राज्य सरकारों द्वारा बिजली के निजीकरण की ²ष्टि से इलेक्ट्रीसिटी एक्ट 2003 में किये जा रहे प्रतिगामी संशोधनों के विरोध में बुधवार को विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले विधुतकर्मियों ने देश के 15 लाख बिजली कर्मचारियों के राष्ट्रव्यापी आंदोलन का साथ देते हुए एक दिन का
जागरण संवाददाता, ओबरा (सोनभद्र) : केंद्र एवं राज्य सरकारों द्वारा बिजली के निजीकरण की ²ष्टि से इलेक्ट्रीसिटी एक्ट 2003 में किये जा रहे प्रतिगामी संशोधनों के विरोध में बुधवार को विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले विद्युतकर्मियों ने देश के 15 लाख बिजली कर्मचारियों के राष्ट्रव्यापी आंदोलन का साथ देते हुए एक दिन का कार्य बहिष्कार किया। स्थानीय परियोजना चिकित्सालय के पास विरोध सभा कर केंद्र व राज्य सरकार के बिजली के क्षेत्र में गलत नीतियों के खिलाफ आक्रोश व्यक्त किया एवं उनके खिलाफ जमकर नारेबाजी की।
वक्ताओं ने विभिन्न मांगों के संबंध में बताया कि बिजली निगमों के एकीकरण कर केरल व हिमाचल प्रदेश की भांति उप्रराविप लिमिटेड का पुनर्गठन किये जाने, पुरानी पेंशन बहाली, रियायती बिजली की सुविधा (एलएमवी 10) पूर्ववत बनाये रखने, सरकारी क्षेत्र के बिजली उत्पादन गृहों का नवीनीकरण, उच्चीकरण कराये जाने और निजी घरानों से महंगी बिजली खरीद के लिए सरकारी बिजली घरों को बन्द करने की नीति समाप्त कराये जाने, बिजली कर्मियों की वेतन विसंगतियों का तत्काल निराकरण कराये जाने, सभी श्रेणी के समस्त रिक्त पदों पर नियमित भर्ती किये जाना आदि शामिल है। सभा में प्रमुख रूप से अदालत वर्मा, हरदेव नारायण तिवारी, अभय सिंह, शाहिद अख्तर, अंबुज सिंह, सुरेंद्र कुमार, बीडी तिवारी, मनीष कुमार श्रीवास्तव, विजय सिंह, पशुपतिनाथ विश्वकर्मा, योगेंद्र प्रसाद, राजबहोर पटेल, विध्याचल, सत्य प्रकाश सिंह, दीपक सिंह, उमेश सिंह आदि थे।