बरतें सावधानी, यातायात के नियम बचाएंगे हादसे से
आजकल की दौड़ती-भागती ¨जदगी में स्वयं का निजी वाहन व मोबाइल होना प्रतिष्ठा का विषय न होकर आवश्यकता बन गए हैं। अब लोग पहले की तरह रेल-बस आदि अन्य साधनों का इंतजार न करते हुए स्वयं के साधनों से सौ से चार सौ किमी की यू ही चले जाते हैं। सोचते हैं कि टैक्सी से रेलवे स्टेशन या बस जाने में लगने वाले समय व धन की तुलना में गाड़ी में ईंधन डलवाकर अपनी सुविधा से मुकाम तक जाना उचित होगा। यहीं कारण है कि शहर से लेकर गांव तक सोनांचल की सड़कों पर ट्रैफिक बढ़ता जा रहा है। भीड़भाड़ वाले इलाकों से गुजरना खतरे से खाली नहीं होता। ऐसे में अगर वालन चलाने वाले और पैदल चलने वाले लोग यातायात नियमों का पालन करें तो दुर्घटनाएं कम ही होंगी।
जागरण संवाददाता, सोनभद्र : आजकल की दौड़ती-भागती ¨जदगी में स्वयं का निजी वाहन व मोबाइल होना प्रतिष्ठा का विषय न होकर आवश्यकता बन गया है। अब लोग पहले की तरह रेल-बस आदि अन्य साधनों का इंतजार न करते हुए स्वयं के साधनो से सौ से चार सौ किमी यूं ही चले जाते हैं। सोचते हैं कि टैक्सी से रेलवे स्टेशन या बस जाने में लगने वाले समय व धन की तुलना में गाड़ी में ईंधन डलवाकर अपनी सुविधा से मुकाम तक जाना उचित होगा। यहीं कारण है कि शहर से लेकर गांव तक सोनांचल की सड़कों पर ट्रैफिक बढ़ता जा रहा है। भीड़भाड़ वाले इलाकों से गुजरना खतरे से खाली नहीं होता। ऐसे में अगर वाहन चलाने वाले और पैदल चलने वाले लोग यातायात नियमों का पालन करें तो दुर्घटनाएं कम ही होंगी।
वाहन चलाने के लिए अनिवार्य प्राथमिक आवश्यक योग्यता का निर्धारण जरूरी है। उसी के आधार पर ड्राइ¨वग लाइसेंस प्राप्त होता है। यातायात से जुड़े जानकार लोग बताते हैं कि जो नियम बनाए गए हैं उसका कड़ाई से पालन हो तो प्रशिक्षित लोग ही सड़क पर वाहन चलाते नजर आएंगे। लेकिन ड्राइ¨वग लाइसेंस बनाने में कभी दलालों का खेल तो कभी पैरवी का कमाल होता है। लोग कभी गाड़ी की स्टेय¨रग भी नहीं पकड़ते और चार पहिया वाहन के चलाने का लाइसेंस मिल जाता है। विशेषकर कमर्शियल वाहनों के मामले में। ऐसी स्थिति में अगर अप्रशिक्षित लोग सड़क पर वाहन लेकर निकलेंगे तो दुर्घटनाओं को निमंत्रण देंगे ही। ड्राइ¨वग लाइसेंस के नियम
वाहन चलाने के लिए मिलने वाले ड्राइ¨वग लाइसेंस को प्राप्त करने के लिए नियम बनाया गया है। सबसे पहले निर्धारित फार्म पर फोटो, जन्म को प्रमाणित करने वाले अभिलेख व पते को प्रमाणित करने वाले अभिलेख के साथ परिवहन विभाग के कार्यालय में आवेदन करना होता है। उम्र सीमा 18 साल से कम नहीं होनी चाहिए। बिना गियर वाली वाहनों के लिए 16 से 18 साल की उम्र है। इसके बाद प्रशिक्षार्थी को लाइसेंस जारी होता है। इस लाइसेंस की अवधि छह माह होती है। उसके पहले लाइसेंस लेने वाले को वाहन चलाकर सीखना होता है और परीक्षा देकर पास करने पर ही लाइसेंस बनता है। एआरटीओ प्रशासन अनिल मिश्र बताते हैं कि कमर्शियल वाहनों के लिए ड्राइ¨वग लाइसेंस प्राप्त करते समय उम्र सीमा 20 साल होनी चाहिए। पहले एक साल पुराना लाइसेंस होना चाहिए। साथ ही किसी मोटर ट्रे¨नग सेंटर से वाहन चलाने का प्रमाणपत्र होना चाहिए। इसे और बेहतर बनाने के लिए जिले में एक बढि़या वाहन चलाने के प्रशिक्षण केंद्र की जरूरत है। जहां बस, ट्रक आदि को चलाकर सिखाया जाए।
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यातायात नियमों का सजगता से हो पालन
अक्सर दुर्घटनाओं का कारण यातायात नियमों का उल्लंघन होता है। लोग इतनी जल्दी में रहते हैं कि वे ग्रीन सिग्नल के पहले ही निकलने की कोशिश करते हैं। इस चक्कर में अगल-बगल या आमने-सामने से आ रहे वाहनों से वे जा भिड़ते हैं। यातायात नियमों की सबसे प्रसिद्ध उक्ति दुर्घटना से देर भली को वे नजरअंदाज कर जाते हैं। परिणामस्वरूप कुछ की अस्पताल में ही आखें खुलती हैं तो कई की स्वर्ग में। यातायात के जानकार के लोग कहते हैं कि हेलमेट का प्रयोग बेहतर है। बुधवार को मनाए जाने वाले हेलमेट और सीट बेल्ट डे पर इसका कड़ाई से पालन होना चाहिए। इसके साथ ही कुछ नौजवान वाहन चलाते समय हवा में उड़ते हैं। इस पर रोक लगानी होगी। शराब पीकर वाहन चलाने वालों पर भी सख्ती से कार्रवाई होनी चाहिए। इन ट्रैफिक नियमों का पालन करें
सील्ट बेल्ट व हेलमेट लगाएं, वन वे सिस्टम का पालन करें, जल्दबाजी में ओवरटेक न करें, जाम में फंसे तो लगातार हार्न न बजाएं, सोच समझकर लें यूं टर्न, वाहन की रफ्तार का ध्यान रखें, सड़कों पर मुड़ते समय इंडिकेटर दें, पार्किंग पर ही वाहन खड़ा करें, शराब पीकर वाहन न चलाएं, मोबाइल पर बात करते हुए वाहन न चलाएं, प्रवेश निषेध क्षेत्र में वाहन न ले जाएं।