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सवा करोड़ के घाटे में हैं जिले की सहकारी समितियां

अन्नदाताओं को समय पर खाद व ऋण उपलब्ध कराने वाली साधन सहकारी समितियों के हाल इन दिनों काफी खराब है। देश के 115 एस्पिरेशनल डिस्ट्रीक में शामिल जिले की 62 में से 11 समितियां घाटे में है। यानि साधन सहकारी समितियों का घाटा 1 करोड़ 23 लाख से भी अधिक हो गया है। ऐसे में इन समितियों पर किसानों को उधार न तो खाद मिलती है और ना ही ऋण दिया जाता है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 22 Sep 2018 09:26 PM (IST)Updated: Sat, 22 Sep 2018 09:26 PM (IST)
सवा करोड़ के घाटे में हैं जिले की सहकारी समितियां
सवा करोड़ के घाटे में हैं जिले की सहकारी समितियां

जासं, सोनभद्र: अन्नदाताओं को समय पर खाद, बीज व ऋण उपलब्ध कराने वाली साधन सहकारी समितियों का हाल इन दिनों काफी खराब हो गया है। देश के 115 आकांक्षात्मक जिलों में शामिल सोनभद्र की 62 में से 11 समितियां घाटे में हैं। इन समितियों का घाटा 1 करोड़ 23 लाख से भी अधिक हो गया है। ऐसे में इन पर किसानों को उधार न तो खाद मिलती है और न ही ऋण दिया जाता है। इन्हें घाटे से उबराने के प्रयास किये जा रहे हैं।

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अन्नदाताओं के सुख-दु:ख का साथी समय पर उनकी मदद करने वाली साधन सहकारी समिति पर समय से ऋण की वसूली न होने व अन्य कारणों से जिले की 11 साधन सहकारी समितियां घाटे में चल रही हैं। इन्हें उबारने के लिए विभागीय स्तर पर प्रयास तो किये जा रहे हैं लेकिन वे प्रयास भी रंग नहीं दिखा पा रहे हैं। ऐसे में समितियों के घाटे में रहने के कारण इन समितियों पर किसानों को उधार में न तो खाद मिलती है और न ही ऋण दिया जाता है। ऐसे में खेती के समय किसानों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। विभागीय अधिकारियों की मानें तो जो समितियां ज्यादा दिन से घाटे में हैं उन्हें उबारने के लिए कई स्तर से प्रयास किये जा रहे हैं। हालांकि अभी तक कुछ सार्थक परिणाम नजर नहीं आया। घाटे में चल रही समितियों में से ज्यादातर दक्षिणांचल की ही समितियां हैं। क्यों घाटे में जा रहीं समितियां

सहकारिता विभाग के सूत्रों का कहना है कि समिति घाटे में तब जाती है जब उसका कर्जा बैंक के कर्ज से अधिक हो जाता है। और यह तभी संभव है जब समितियों द्वारा किसानों को दिये गये ऋण की समय से वसूली नहीं होती। उदाहरण के तौर पर देखा जाय तो किसी समिति को सहकारी बैंक से एक लाख रुपये का ऋण दिया गया। समिति ने उसे 10 किसानों में वितरित किया। अब समिति बैंक को ब्याज सहित ऋण चुकता करेगी और समिति को किसान ऋण ब्याज सहित चुकता करेंगे। अगर किसान चुकता नहीं कर पाये तो समितियां बैंक का ऋण चुकता करने में असमर्थ साबित होती हैं तभी यह मान लिया जाता है कि समिति घाटे में चल रही है। घाटे से कैसे उबरेंगी समितियां

एक करोड़ से भी अधिक के घाटे में चल रही जिले की 11 साधन सहकारी समितियों को उबारने के लिए विभागीय स्तर पर तो पहल की जरूरत है ही समिति स्तर पर भी सार्थक पहल की जरूरत है। विभागीय अधिकारी बताते हैं कि समितियों के पास आय के स्त्रोत सीमित हैं। अगर इन्हें बढ़ा दिया जाय तो निश्चित ही घाटे में चल रही समितियां को इससे उबारा जा सकता है। बोले अधिकारी..

जिले की 11 साधन सहकारी समितियां घाटे में चल रही हैं। इनका घाटा कुल मिलाकर करीब एक करोड़ से अधिक है। जो समितियां घाटे में हैं उनमें साधन सहकारी समिति बिरधी, नौडिहा, बघाड़ू, बीड़र, दुद्धी लैंपस, झारो, महुली, ¨वढमगंज, गोहड़ा, खोतो महुआ व शाहगंज हैं। उन्हें घाटे से उबारने के लिए सचिवों को निर्देश दिया गया है कि ज्यादा से ज्यादा वसूली करें।

- त्रिभुवन नारायण ¨सह, सहायक निबंधक सहकारिता।


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