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..तो अगले माहम से शुरू हो जाएगी सोनांचल से हवाई उड़ान

जागरण संवाददाता सोनभद्र/गोविदपुर पॉवर कैपिटल के नाम से मशहूर सोनांचल से जल्द ही हवाई स

By JagranEdited By: Published: Sun, 13 Sep 2020 05:39 PM (IST)Updated: Sun, 13 Sep 2020 05:39 PM (IST)
..तो अगले माहम से शुरू हो जाएगी सोनांचल से हवाई उड़ान
..तो अगले माहम से शुरू हो जाएगी सोनांचल से हवाई उड़ान

जागरण संवाददाता, सोनभद्र/गोविदपुर: पॉवर कैपिटल के नाम से मशहूर सोनांचल से जल्द ही हवाई सफर भी शुरू हो जाएगा। इसके लिए जरूरी कार्यवाही भी अब तेज हो गई है। काम की तेजी और अधिकारियों की तैयारी के हिसाब से उम्मीद है कि अगले माह उड़ान शुरू की जा सकती है। इसी लिए यहां बाउंड्री निर्माण में तेजी लाते हुए उड़ान में बाधक बनने वाले पेड़ों की कटान की भी तैयारी तेज है। इसी सप्ताह या अगले सप्ताह में बाउंड्री की जद में आने वाले पेड़ काटे जाएंगे। वहां गवर्नमेंट ग्रांट की भूमि पर काबिज लोगों को यहां से हटाकर म्योरपुर ग्राम पंचायत में ही बसाया जाएगा। इसके लिए उन्हें भूमि पर प्रधानमंत्री आवास भी मिलेगा।

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बता दें कि केंद्र सरकार के रीजनल कनेक्टविटी स्कीम में शामिल म्योरपुर हवाईपट्टी से उड़ान शुरू करने के लिए काम हो रहा है। यहां मूलभूत जरूरतों को पूरा किया जा रहा है। इसी क्रम में हवाई अड्डे की जद में आन वाले भवनों को चिह्नित कर उनकी ऊंचाई कम की जा रही है। इस काम में जुटे लोगों की मानें तो दो लोगों का घर बाउंड्री के अंदर आ रहा है। ऐसे में उन्हें पीएम आवास दिया जाएगा। म्योरपुर वन रेंज के क्षेत्राधिकारी राजेश सोनकर ने बताया कि एयरपोर्ट से उड़ान शुरू करने में बाधक बनने वाले कुल 465 पेड़ों को काटा जाएगा। इसमें 210 पेंड़ काश्तकारों के हैं और 255 वन विभाग के। इसमें सागौन, पलास, आसन सहित कई प्रजाति के हैं। वन निगम के अधिकारियों के साथ दौरा किया जा चुका है। एक सप्ताह के भीतर कटान शुरू कर दी जाएगी। उधर, लेखपाल सुरेंद्र नाथ पाठक ने बताया कि हम लोगों को एक माह के भीतर काम पूरा करने के लिए कहा गया, जिससे की उड़ान शुरू की जा सके। शनिवार को तहसीलदार के निरीक्षण के बाद काम में तेजी आई है।

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इसी एयरपोर्ट पर उतरे थे जीडी बिड़ला

म्योरपुर हवाई पट्टी बनाने का सबसे बड़ा श्रेय हिडाल्को को जाता है। बताया जाता है कि देश के प्रमुख उद्यमी घनश्याम दास बिड़ला की कंपनी हिंडाल्को की आधारशिला रखी जा रही थी। तभी यहां जरूरत महसूस हुई एयरपोर्ट की। फिर क्या म्योरपुर कस्बे से कुछ दूरी पर 1954 में हवाई पट्टी की आधारशिला रखी गई। कुछ ही साल में यहां से चार्टर्ड प्लेन की उड़ान भी शुरू हो गई। उस समय जीडी बिड़ला अपनी कंपनी की देख-रेख करने के लिए प्लेन से आते थे। उनका विमान म्योरपुर हवाई पट्टी पर उतरता था और वहां से वह कार से रेणुकूट जाते थे।

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1966 में शुरू हुई थी उड़ान

वर्ष 1996 में म्योरपुर से उड़ान शुरू की गई थी। उस उस समय दो विमान यहां से उड़ते थे। विक्टर थापा चार्ली और विक्टर थापा डेल्टा नाम के दोनों विमान सप्ताह में तीन दिन उड़ते थे। छह माह तक हवाई सफर ठीक-ठाक रहा, बाद में कंपनी घाटे में चली गई और उड़ान बंद हो गई। उस समय उस प्लेन में कुल 55 सीट होती थी। दिल्ली से चलने वाला विमान लखनऊ, वाराणसी के रास्ते म्योरपुर तक आता था। इसके बाद इसी रास्ते से वापस भी होता था। उस समय यह व्यवस्था की गई थी कि 35 सीट म्योरपुर से बुकिग होती थी। यहां बोर्डिंग भी बनाया गया था। सबकुछ ठीक-ठाक चल रहा था इसी बीच कंपनी घाटे में चली गई और उड़ान बंद कर दी गई।

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आंकड़ा एक नजर में

64 एकड़ में है एयरपोर्ट का इलाका।

120 मीटर की कुल चौड़ाई है रन-वे के दोनों तरफ मिलाकर।

25 मीटर चौड़ा है यहां का रन-वे।

1996 में कुछ माह के लिए शुरू हुई थी उड़ान।

1954 में हवाई पट्टी की रखी गई थी आधारशिला।


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