अभी का परिवेश खुशनुमा और अकल्पनीय
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जागरण संवाददाता, शाहगंज (सोनभद्र) : कोरोना की महामारी ने परिवार का असली मूल्य दिखाना शुरू कर दिया है। कैसे एक परिवार बनता है इनदिनों जनपद के विभिन्न हिस्सों में दिखने लगा है। लोग इसे महसूस भी करने लगे हैं। कल तक जिसके पास एक-दूसरे से बात सुनने का समय नहीं था वो इनदिनों मन की गहराइयों पर पड़ चुकी धूल को हटाकर याद करने के लिए उतावले हो रहे हैं। यही नहीं इनदिनों पढ़ाई से लेकर खाने-पीने और उठने-बैठने के तरीके भी बदल गए हैं।
डीएवी पब्लिक स्कूल रिहंद नगर (बीजपुर) में कक्षा चार की छात्रा वैभवी श्रीवास्तव कहती हैं कि परीक्षा खत्म होने के बाद अपनी नानी के घर शाहगंज (खजुरी) आ गईं। उसी दौरान लॉकडाउन की घोषणा हो गई। 26 मार्च को पिताजी के मोबाइल व्हाट्सएप पर संदेश मिला। उसमें होमवर्क अटैच रहा। अब वह प्रतिदिन होमवर्क कर संबंधित शिक्षकों को भेज रही है। प्रधानाचार्य राजकुमार ने लॉकडाउन तक ऑनलाइन पढ़ाई करने का निर्देश दिया है। हनुमान चालीसा के साथ बीत रहा दिन
कस्बे शाहगंज के ग्राम प्रधान श्याम बिहारी सेठ और उनका पूरा परिवार लॉकडाउन में सुबह-शाम का समय ढोल-मजीरा और हनुमान चालीसा पर दे रहे हैं। वे कहते हैं कि लॉकडाउन से घरों में रहना काफी मुश्किल हो गया। फिर मन में आया कि क्यों ना अपने पूरे परिवार के साथ सुबह-शाम प्रभु की भक्ति व हनुमान चालीसा का पाठ किया जाए। अब सुबह-शाम एक से दो घंटे पूरे परिवार के साथ भजन आरती में मगन रहते हैं। परिवार व बच्चों के साथ रहने का भरपूर आनंद मिल रहा है।