कोयले की कमी, लैंको की दूसरी इकाई बंद
बढ़ती बिजली की मांग के बीच लैंको की 600 मेगावाट की दूसरी इकाई से उत्पादन बंद कर दिया गया है। आर्थिक संकट से जूझ रही लैंको के कोयले का स्टाक न्यूनतम तक पहुंच गया है, जिस कारण सोमवार को लैंको प्रबंधन को एक इकाई से उत्पादन बंद कर देना पड़ा।
जासं, अनपरा (सोनभद्र) : बढ़ती बिजली की मांग के बीच लैंको की 600 मेगावाट की दूसरी इकाई से उत्पादन बंद कर दिया गया है। आर्थिक संकट से जूझ रही लैंको के कोयले का स्टाक न्यूनतम तक पहुंच गया है। इस कारण सोमवार को लैंको प्रबंधन को एक इकाई से उत्पादन बंद कर देना पड़ा। वर्तमान में लैंको की केवल एक इकाई से उत्पादन हो रहा है, वह भी क्षमता से आधी। लैंको को तत्काल कोयला उपलब्ध नहीं हुआ तो एक-दो दिनों में पहली इकाई को भी बंद करना पड़ सकता है।
लैंको का कोयला संकट अब गंभीर रूप ले चुका है। कंपनी के पास अब केवल छह हजार टन कोयला ही बचा है, जिससे किसी तरह एक दिन तक एक इकाई को चलाया जा सकता है। लैंको को पूरी क्षमता से उत्पादन के लिए प्रतिदिन 17 हजार कोयले की जरूरत होती है। यदि कोयले की आपूर्ति नहीं हुई तो लैंको से पूरी तरह बिजली उत्पादन बंद करना पड़ेगा। कोयले की कमी के कारण लैंको को गत महीने भी कम लोड पर चलाया जा रहा था, लेकिन बाद में कोयले की किल्लत दूर हो गई और परियोजना से पूरी क्षमता से उत्पादन शुरू हो गया था। अब फिर लैंको परियोजना की एक इकाई बंद हो गई और एक इकाई को आधी क्षमता से चलाया जा रहा है। इस बार लैंको की दिक्कत ज्यादा गंभीर है। दरअसल लैंको को यूपीपीसीएल से पेमेंट नहीं मिल रहा है। जिस कारण कंपनी कोयले का भुगतान नहीं कर पा रही है और भुगतान न होने की दशा में कोयला नहीं मिल पा रहा है वहीं बैं¨कग का पूरा सिस्टम बैंक प्रबंधन के हाथ में होने से भी कंपनी की परेशानियां बढ़ गई हैं। के यूनिट हेड संदीप गोस्वामी के अनुसार यूपीपीसीएल से पेमेंट न मिलने और पहले से चल रही बैंक की परेशानी के कारण कोयले का नियमित भुगतान नहीं हो पा रहा है। जिस कारण कोयले की कमी हो गई है। यूपीपीसीएल की कार्यप्रणाली पर सवाल
लैंको प्रदेश सरकार को बेहद कम दर पर बिजली मुहैया कराती है। ऐसे में बिजली की बढ़ती मांग के बीच अन्य परियोजनाओं से महंगी बिजली खरीदना और उन कंपनियों को ज्यादा भुगतान करना समझ से परे है। लैंको को भुगतान न करना यूपीपीसीएल की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा करता है। अन्य परियोजनाओं से महंगी बिजली खरीद कर उपभोक्ताओं की दी जाएगी, जिसका खामियाजा अंत में उपभोक्ता को ही भुगतना पड़ेगा।